छपरा, सारण
जन सुराज पदयात्रा के 186वें दिन की शुरुआत बुधवार को सारण के दिघवारा प्रखंड अंतर्गत रामपुर आमी पंचायत स्थित पदयात्रा कैंप में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने जिले के पत्रकारों के साथ संवाद किया। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ रामपुर आमी पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा हराजी, मानुपुर, दिघवारा नगर पंचायत होते हुए दिघवारा प्रखंड अंतर्गत बरुआ पंचायत के आजाद मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर सारण के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 2 आमसभाओं को संबोधित किया और 5 पंचायत के 13 गांवों से गुजरते हुए 13 किमी की पदयात्रा तय की।
आज सत्ता में बैठे लोग अल्पसंख्यकों को भयभीत रख कर सिर्फ वोट लेते हैं, उनकी सुरक्षा की किसी को चिंता नहीं: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण के दिघवारा में मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार में रामनवमी पर हुए सांप्रदायिक घटनाओं के मामले में राज्य सरकार पर हमला बोला।उन्होंने कहा कि जब सरकार का इकबाल खत्म हो जाता है तो इस तरह की समस्या देखने को मिलती है। जब सरकार का डर ही खत्म हो गया है तो भ्रष्टाचार हो, बिगड़ती कानूनी व्यवस्था हो या जातीय हिंसा की बात हो, इस तरह की घटनाएं अपने आप बढ़ जाती है। पिछले 5 सालों से नेशनल हाईवे पर जबरन वसूली हो रही है और सरकार को भी इस बात की जानकारी होगी तब भी वसूली करने वाले के भीतर कोई डर नहीं है। जो धार्मिक हिंसा नालंदा और सासाराम जिलों में हुई है वो बहुत दुखद घटना है। ये लोग जो आज सरकार में हैं, अल्पसंख्यकों के नाम पर वोट लेते हैं, लेकिन इनका अल्पसंख्यकों से कोई लेना-देना नहीं है, इन्हें बस उनके वोट से लेना-देना है। पदयात्रा के दौरान जितने भी अल्पसंख्यक गाँव में गया, वहाँ देखने को मिला कि अल्संख्यकों की स्थिति बहुत दयनीय है। दलितों के बाद जो बदहाली सबसे ज्यादा है वो अल्संख्यक समाज की है। जो लोग अल्संख्यकों का वोट लेते हैं, वो सिर्फ इस नाम पर वोट लेते हैं कि वो उन्हें सुरक्षा देंगे। लेकिन सासाराम और बिहारशरीफ में हुई घटनाओं ने भी इस बात की पोल खोल दी है कि नेता सुरक्षा नहीं दे रहे हैं। नेता सिर्फ ये सोचते है कि अल्संख्यक समाज भयभीत रहे और उनको वोट देता रहें।