भारत के दूरसंचार नियामक ट्राई (TRAI) ने टैरिफ नियमों में संशोधन किया है। इस संशोधन के साथ मोबाइल सर्विस प्रोवाइर्स को केवल वॉयस कॉल और एसएमएस के लिए रिचार्ज प्लान पेश करने का आदेश दिया है, जिसमें इंटरनेट डेटा खरीदने की बाध्यता नहीं रहे।
सोमवार को घोषित किए गए नए नियमों का उद्देश्य उन ग्राहकों को बेहतर ऑप्शन देना है जो मोबाइल डेटा का इस्तेमाल नहीं करते हैं। साथ ही अब स्पेशल रिचार्ज कूपन की वैलिडिटी को वर्तमान 90 दिनों की सीमा से बढ़ाकर अधिकतम 365 दिन दिया गया है।
किन्हें होगा फायदा?
इस बदलाव से भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को लाभ मिलने की उम्मीद है। खास तौर पर करीब 150 मिलियन 2G यूजर्स, डुअल-सिम ओनर्स, बुजुर्ग व्यक्ति और ग्रामीण निवासियों को इसका फायदा होगा। इस कदम से उपभोक्ताओं को केवल उन्हीं सेवाओं के लिए भुगतान करने की अनुमति मिलती है जिनकी उन्हें ज़रूरत है, न कि उन डेटा पर अतिरिक्त खर्च करने की जो वे इस्तेमाल नहीं करते हैं।
ट्राई के मुताबिक, दूरसंचार ऑपरेटरों से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि भारत में लगभग 150 मिलियन ग्राहक अभी भी फीचर फोन पर निर्भर हैं। ये दर्शाता है कि नॉन-डेटा-स्पेसिफिक रिचार्ज ऑप्शन्स की जरूरत है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने दूरसंचार उपभोक्ता संरक्षण (बारहवां संशोधन) विनियम, 2024 में कहा, ‘…सर्विस प्रोवाइड को विशेष रूप से वॉयस और एसएमएस के लिए कम से कम एक स्पेशल टैरिफ वाउचर की पेशकश करनी होगी, जिसकी वैलिडिटी पीरियड तीन सौ पैंसठ दिनों से ज्यादा नहीं होगी।’
दूरसंचार कंपनियों का ये है प्लान
जहां ट्राई की पहल उपभोक्ता की पसंद को प्राथमिकता देती है। लेकिन, ये रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों द्वारा यूजर्स को 2G से 4G या यहां तक कि 5G में माइग्रेट करने के आक्रामक प्रयास के विपरीत है। ये कंपनियां बंडल प्लान के जरिए अपने एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जिसमें अनलिमिटेड डेटा और वॉयस सर्विसेज शामिल हैं।
रिलायंस जियो ने पहले 2G टेक्नोलॉजी को भारत के डिजिटल ग्रोथ में बाधा बताया था। चार साल पहले, जियो ने पॉलिसी मेकर्स से 2G सेवाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि 5G अपनाने की प्रक्रिया में तेजी आने से 4G क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे टेलीकॉम कंपनी बचे 2G यूजर्स को अपने 4G नेटवर्क की ओर आकर्षित करने में सक्षम होगी।