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● 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस ● अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
छपरा, सारण
मशरक प्रखंड के सुप्रसिद्ध डा. गौतम सिंह अब नहीं रहे। 80 वर्ष के जीवन की इस पड़ाव में भी मौत के चार घंटे पहले तक रोगियों का इलाज किया और अंत में अपने ही लगातार दो बार के हृदयाघात को बर्दाश्त नहीं कर पाए और परलोक पधार गए। गरीबों के लिए भगवान का दूसरा स्वरूप और मसीहा थे। इस आधुनिक जमाने में भी अपने डाक्टरी अनुभव से रोग का सही पता लगा कर मरीज का इलाज किया करते थे। ना कोई बेवजह जांच और ना कोई अल्ट्रासाउंड, जब तक जरूरी न लगे कोई जांच नहीं कराते थे। ना कभी पैसे के लिए कोई रोगी का इलाज रूका और ना ही किसी मरीज की स्थिति को बिगड़ने दिया। गोपालगंज सदर अस्पताल से 2005 में सेवानिवृत्त होकर अपने पैतृक आवास मघरी में न रह कर मशरक में रहकर लोगो की सेवा में लग गए और अपने जीवन के अंतिम समय के चार घंटे पहले तक रोगियों का इलाज किया और जब अपनी बारी आई तो किसी ने साथ नहीं दिया। मरने के एक घंटा पहले जब उनको पहला हार्ट- अटैक आया तब उनके परिवार वाले ने मशरक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर की खोज में गए लेकिन वहां सिर्फ एक डेन्टल स्पेशलिस्ट ही मौजूद थे। उसके बाद डा. शैलेन्द्र सिंह से सेवा ली गई लेकिन वो भी कुछ न कर सके। ऐसी चर्चा हो रही थी कि मशरक अभी तक इतना भी विकास नहीं कर पाया है कि एक कुशल, जानकर और योग्य डाक्टर अब तक नहीं है। एक दो डाक्टर भी है जो वो भी अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर है और उनके सहायक ही इलाज करते है। मशरक का दुर्भाग्य है कि एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी डेन्टल स्पेशलिस्ट के भरोसे पुरा पंद्रह पंचायत और एक नगर पंचायत चल रहा है। खास लोगो के बिमार होने पर ऐसी स्थिति है तो आम लोगो की क्या हालत होगी समझा जा सकता है। उनके असामयिक मौत के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा। लोग उनके निःस्वार्थ सेवा भाव की चर्चा करते देखे गए। प्रबुद्धजनों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा।