यूट्यूबर मनीष कश्यप एक बार फिर चर्चा में हैं. करीब नौ महीने के बाद बिहार हाईकोर्ट ने उन्हें दो मामलों में जमानत दे दी है और शनिवार को वे जेल से बाहर आ गए हैं.
लंबे समय से मनीष कश्यप को लेकर खूब चर्चा हुई हैं. कई बार वे सोशल मीडिया पर ट्रेंड भी हो चुके हैं. उनके समर्थक उन्हें ‘सन ऑफ बिहार’ भी कहते हैं. आइए जानते हैं कि मनीष कश्यप कौन हैं और इतनी बड़ी संख्या में उनके समर्थक कहां से हो गए. जानेंगे कि वे क्यों जेल गए थे. असल में मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी तिवारी है, उन्हें यूट्यूबर और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर जाना जाता है. उनका जन्म 9 मार्च 1991 को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में हुआ था. कश्यप ने पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने कुछ साल नौकरी भी की थी. इसके बाद 2016-17 से स्थानीय समस्या को उन्होंने सोशल मीडिया पर डालना शुरू किया था और इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई. इसी बीच उन्होंने सच तक नाम से यूट्यूब चैनल भी बना लिया था जिसकी काफी रीच हो गई, लोग उन्हें पसंद करने लगे.
इसके बाद खुली जीप में सवार होकर मनीष कश्यप काफिले के साथ आगे बढ़े. जेल से बाहर आने के बाद मनीष कश्यप ने कहा कि मैं काला पानी की सजा काटकर बाहर आया हूं.
मैं अगर डर गया तो ये लोग समझेंगे कि एक पत्रकार को डरा दिया है, इसलिए मैं आगे भी पत्रकारिता करता रहूंगा. जेल के बाहर भारी भीड़ देखकर उत्साहित मनीष कश्यप ने कहा- ये वो लोग हैं जिन्हें उम्मीद है कि बिहार में एक दिन बदलाव आएगा.
मनीष कश्यप पर आरोप था कि उन्होंने तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट का फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया. जिसके बाद वहां रह रहे बिहार के मजदूरों में पैनिक सिचुएशन क्रिएट हुआ. वीडियो शेयर करने के बाद लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ती गईं. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU ने यूट्यूबर के खिलाफ मामला दर्ज किया.
केस दर्ज होने के बाद मनीष कश्यप बिहार छोड़कर फरार होने का आरोप लगा था. इधर लगातार छापेमारी के बाद भी वह जब नहीं मिले तो बेतिया जिले में स्थित उनके घर पर 18 मार्च को दूसरे मामले में कुर्की जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी. इस बीच, मनीष कश्यप ने उसी दिन स्थानीय थाने में सरेंडर कर दिया . इसके बाद EOU ने उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की और जेल भेज दिया. चूंकि मामला तमिलनाडु से जुड़ा था तो तमिलनाडु पुलिस भी उसे वहां ले गई थी. मनीष कश्यप कई महीने तक तमिलनाडु के जेल में भी बंद रहे.
शुक्रवार को ही मिल गई थी जमानत
मनीष कश्यप को शुक्रवार को ही जमानत मिल गई थी. लेकिन कागजात में गड़बड़ी की वजह से उन्हें एक दिन और जेल में रहना पड़ा. जेल प्रशासन को जो कागजात मिले थे, उसमें नाम में अंतर था. दरअसल, मनीष कश्यप का वास्तविक नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है, लेकिन शुक्रवार को जेल प्रशासन को जो आदेश मिला था, उसमें त्रिपुरारी कुमार लिखा हुआ था. इसके बाद शनिवार को कोर्ट आदेश में नाम सुधार के साथ जब कागजात पहुंचा तो बेऊर जेल प्रशासन ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया है.