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मही नदी के अतिक्रमण का मामला
सारण :- जिले के पानापुर प्रखंड के कोंध एवं भोरहाँ पंचायत के बीच से गुजरने वाली मही नदी को अतिक्रमणमुक्त कराए जाने में प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। एक तरफ प्रशासन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कागजी खानापूर्ति कर अपने दायित्वों का निर्वहन करता दिख रहा है वही अतिक्रमणकारी दिनानुदिन मही नदी का अस्तित्व ही समाप्त करने पर तुले हैं।
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आपको बतादे कि भोरहाँ क्वार्टर बाजार के समीप से निकलनेवाली मही नदी तरैया प्रखंड के नवरतनपुर , फरीदनपुर , भलुआ होते हुए पचरौर तक जाती है। बरसात के दिनों में इसी मही नदी के द्वारा पानी की निकासी होती है।
विगत के वर्षों में धीरे धीरे अतिक्रमणकारियों ने इसका अतिक्रमण करना शुरू कर दिया जिस कारण जलजमाव की विकट समस्या उत्पन्न होते गई। जलजमाव के कारण किसानों ने मही नदी के किनारे स्थित खेतो में खेती करना छोड़ दिया।
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ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए विधानपार्षद इ.सच्चिदानंद राय ने बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री के समक्ष इस मामले को उठाया था जिसके बाद जल संसाधन विभाग की टीम ने मही नदी का निरीक्षण किया था।
विभागीय रिपोर्ट के आधार पर अंचल कार्यालय द्वारा मही नदी की मापी कराई गई एवं अतिक्रमण किए रामपुररुद्र , भोरहाँ एवं कोंध गांव के 95 लोगो को नोटिस तामिला कराया गया। बताया जाता है कि दो दो बार नोटिस तामिला कराए जाने के बावजूद प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है।