आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब की आरजेडी में वापसी हो सकती है. आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हिना शहाब से मुलाकात की है. लोकसभा चुनाव-2024 में हिना ने सीवान सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हिना की वजह से ऐसे समीकरण बने कि इस सीट पर आरजेडी को भी झटका लगा था. 1996 से लेकर 2009 तक शहाबुद्दीन सीवान के सांसद रहे. इसके बाद शहाबुदीन या उनके परिवार से कोई यहां चुनाव नहीं जीत पाया.
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया है. इसके तहत बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं आने के चलते लालू अब हिना की घर वापसी कराकर विधानसभा की जंग को फतह करना चाहते हैं. मगर, शहाबुद्दीन की पत्नी नीतीश कुमार से लेकर प्रशांत किशोर तक से मुलाकात कर चुकी हैं. ऐसे में देखना है कि हिना का सियासी ठिकाना क्या होता है?
सीएम नीतीश कुमार के सियासी पाला बदलने के चलते आरजेडी बिहार की सत्ता से बाहर है. 2005 के बाद अपने दम पर आरजेडी सत्ता में नहीं आ सकी. इस दौरान जेडीयू के सहारे कुछ-कुछ समय के लिए सरकार में साझेदार जरूर रही है. ऐसे में लालू यादव एक बार फिर सक्रिय हैं. तेजस्वी यादव की बिहार यात्रा से पहले पार्टी के सारे कील-काटें दुरुस्त कर लेना चाहते हैं. इसके तहत उन नाराज नेताओं की फेहरिश्त बनाई गई है, जिनका अपने इलाके की सियासत में खास दबदबा है. इसकी शुरुआत सीवान के सांसद रहे शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से हुई.
शहाबुद्दीन की मौत के बाद आरजेडी में कमजोर हुई हिना की पकड़
सीवान के सांसद रहे बाहबुली शहाबुद्दीन आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते थे. बिहार में शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी लेकिन उनके निधन होने के बाद हिना की पकड़ आरजेडी में कमजोर हुई. इसके चलते हिना इस बार लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ी थीं. हिना भले ही जीत नहीं सकीं लेकिन आरजेडी से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रहीं. इसके चलते सीवान के साथ-साथ छपरा, गोपालगंज सीट पर आरजेडी को मात खानी पड़ी.
उत्तर बिहार में मुस्लिम समुदाय के लोग खासकर शहाबुद्दीन के समर्थक आरजेडी से नाराज माने जा रहे हैं. इसका असर आगामी विधानसभा में भी पड़ सकता है. इस बात को भांपकर ही लालू यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना के साथ रिश्ते सुधारने की पहल की है. बुधवार को आरजेडी विधायक विनोद जायसवाल के पटना आवास पर शहाबुद्दीन की पत्नी से लालू और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने मुलाकात की. माना जा रहा है कि विनोद जायसवाल ही हिना और लालू यादव के बीच सुलह-समझौता की कड़ी बने हैं.
शहाबुद्दीन के निधन के बाद से ही लालू परिवार के साथ उनके रिश्ते बेहतर नहीं रहे हैं. इसके चलते ही हिना इस बार निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरीं. विधानसभा चुनाव में हिना नया राजनीतिक ठिकाना तलाश रही हैं. इसके लिए नीतीश कुमार से लेकर प्रशांत किशोर तक से मुलाकात कर चुकी हैं. इस तरह वो सियासी नफा-नुकसान देखकर ही फैसला लेना चाहती हैं. इस बात की भनक आरजेडी को लगी तो लालू यादव एक्टिव हुए और उन्होंने विनोद जायसवाल को हिना से संपर्क करने के लिए कहा. इसके बाद सात जुलाई को सीक्रेट मीटिंग पटना में रखी गई.
हिना शहाब की जरूर क्यों पड़ी?
हिना शहाब लोकसभा का चुनाव सीवान से हार गई थीं लेकिन वो अच्छा खासा वोट पाने में सफल रहीं. सीवान लोकसभा चुनाव क्षेत्र के तहत आने वाली विधानसभा सीटों के वोटों का आकंड़ा देखें तो हिना को सीवान विधानसभा में 61 हजार 346, जीरदेई विधानसभा से 40 हजार 845, दरौली विधानसभा से 32 हजार 116, रघुनाथपुर से 60 हजार 858, दरौंदा में 40 हजार 176 और बड़हरा विधानसभा सीट पर 57 हजार 746 वोट मिले हैं. इसी तरह का वोटिंग पैटर्न अगर विधानसभा चुनाव में रहा तो आरजेडी को छह सीटों का झटका सिर्फ सीवान में लग सकता है. इसके अलावा गोपालगंज और छपरा जिले की विधानसभा सीटों पर भी आरजेडी का खेल बिगड़ सकता है. उत्तर बिहार और पश्चिमी चंपारण इलाके में मुस्लिम वोटों के बीच शहाबुद्दीन का प्रभाव रहा है.
मुस्लिम वोटों को साधने का प्लान
बिहार में करीब 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जो सियासी रूप से किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखती है. आजादी के बाद मु्स्लिम कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है लेकिन नब्बे के दशक से आरजेडी के साथ खड़ा है. बिहार की सियासत में 2020 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय के वोटिंग पैटर्न में बड़ा फर्क दिखा. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल के इलाके में पांच सीटें जीतकर और तीन अन्य सीटों पर दूसरा स्थान हासिल करके अपनी छाप छोड़ी थी.
हालांकि, सीएसडीएस के आंकड़ों की मानें तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 77 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने महागठबंधन को वोट किया. 11 फीसदी मुसलमानों का वोट ओवैसी की एआईएमआईएम को मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने कई सीटों पर आरजेडी के खिलाफ वोट किए. इसमें गोपालगंज, सीवान, पुर्णिया लोकसभा सीट रही. ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर से लेकर ओवैसी तक मुस्लिम वोटों को साधने की कवायद में हैं. इसके चलते ही लालू यादव एक्टिव हो गए हैं.
बिहार में विधानसभा सीटों की संख्या 243 है. इसमें से 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. इन इलाकों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है. बिहार की 11 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं और 7 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा. इसके अलावा 29 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं.
2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार की कुल 243 सीटों में से 24 मुस्लिम विधायक जीतकर आए थे. इनमें से 11 विधायक आरजेडी, 6 कांग्रेस, 5 जेडीयू, 1 बीजेपी और 1 सीपीआई (एमएल) का था. बीजेपी ने दो मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे. इसमें से एक ने जीत दर्ज की थी. साल 2000 के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक जीते थे. 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक चुनकर आए. इस बार पीके और ओवैसी बड़ी संख्या में मुस्लिम कैंडिडेट उतारने की रणनीति पर हैं, जिसके चलते लालू यादव डैमेज कंट्रोल करने के लिए शहाबुद्दीन की पत्नि हिना शहाब को साधना चाहते हैं.