बिहार के भागलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में खून चढ़वाने के लिए आ रहे थैलेसीमिया के शिकार बच्चों की सेहत इन दिनों संकट में है। खून चढ़ाने के बाद थैलेसीमिया के शिकार बच्चों में आयरन का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
वहीं दूसरी तरफ इन आयरन चिलेटिन ड्रग्स (डेसिफर) बीते चार माह से इन बच्चों को नहीं मिल रहा है। ऐसे में इन बच्चों की सेहत को संभालने के लिए एक बच्चे के पिता को इस दवा की खरीद पर अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है।
मायागंज अस्पताल के थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर रोजाना थैलेसीमिया के शिकार 10 बच्चों को खून चढ़ाया जाता है। सेंटर के प्रभारी डॉ. अंकुर प्रियदर्शी बताते हैं कि कुल थैलेसीमिया के बच्चे, जिन्हें खून चढ़ाया जाता है, उनमें से करीब 50 प्रतिशत बच्चों को आयरन की मात्रा कम करने वाली दवा डेसिफर देनी ही पड़ती है। अगर यह न दिया जाए तो आयरन की बढ़ी मात्रा इन्हें बहुत ज्यादा परेशानी में डाल देगी। बाजार में इस दवा की कीमत 12 से 15 सौ रुपये है।
सेंटर के प्रभारी डॉ. अंकुर प्रियदर्शी बताते हैं कि जेम पोर्टल पर डेसिफर दवा की मांग अपलोड के जरिए तीन बार की गई। फिर से जनवरी माह में दवा की मांग को जेम पोर्टल पर अपलोड किया गया है। उम्मीद है कि मार्च माह में इस दवा की आपूर्ति अस्पताल को मिल जाएगा।
20 दिनों में ही खत्म हो जाता है आरबीसी
सामान्य रूप से शरीर में आरबीसी यानी लाल रक्त कणिकाओं की उम्र 120 दिन की होती है। लेकिन आनुवांशिक रोग थैलेसीमिया पीड़ितों के खून का आरबीसी 20 दिन में ही खत्म हो जाता है। जिससे इसका असर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के हिमोग्लोबिन पर पड़ता है। हिमोग्लोबिन की मात्रा उसके खून में कम होने लगती है। और इसी मात्रा को बढ़ाने के लिए पीड़ित को बार-बार खून चढ़वाने की जरूरत पड़ती है। कुछ पीड़ितों को औसतन माह में एक बार तो कुछ को माह में दो बार खून चढ़वाना पड़ता है।
चार माह से खत्म है आयरन चिलेटिन ड्रग्स
थैलेसीमिया डे केयर सेंटर पर अप्रैल 2023 में आयरन चिलेटर की दवा थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को मिलनी शुरू हुई थी। नवंबर 2023 में ही ये दवा आउट ऑफ स्टॉक यानी खत्म हो गई तो थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को मुफ्त मिल रही ये दवा मिलनी बंद हो गई। आलम ये है कि हर रोज पांच से छह थैलेसीमिया के शिकार बच्चों को खून चढ़वाने के बाद बाहर से आयरन चिलेटिन ड्रग्स लेना ही पड़ता है।