तरैया, (सारण)
कोई पैदल या साईकल से भारत दर्शन को निकले तो यह सचमुच अनूठा है। ठीक ऐसा ही अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए निकले राजस्थान के 30 वर्षीय युवा इंजीनियर आदित्य कुमार। ठंडी के मौषम में साईकल से ही अपनी मंजिल को मापने दिल्ली से बिहार तक पहुंचे आदित्य का मंगलवार को छपरा के तरैया में लोगों ने स्वागत करते हुए सहयोग भी किया।
समाजिक कार्यकर्ता अनिल सिंह कुशवाहा, सुजीत कुमार, कल्याण कुमार, गोलू कुमार, रंजन सिंह सहित अन्य लोगों ने उनका स्वागत किया। आदित्य मूल रूप से राजस्थान के जेसलमेर का रहने वाला है, जो कि सिविल इंजीनियरिंग कर ढाई साल तक प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की और उसके बाद इस्तीफा दे दिया।
उसके पिता नथु राम एक किसान थे।
आदित्य ने बताया कि वह दिल्ली से करीब 6 हजार किलोमीटर की साईकल से यात्रा कर हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड के बद्रीनाथ, केदारनाथ होकर उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार में पहुचा है। आज उसने मंगलवार को बिहार के छपरा जिले में प्रवेश किया है।
आदित्य ने बताया कि वह चार मोटिव लेकर अपनी यात्रा पर निकला हुआ है। उसका पहला मोटिव है कि बिना पैसे की यात्रा कर मानवता की पहचान एवं उसे बढ़ावा देना, दूसरी मोटिव साईकल से यात्रा कर देश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता लाना और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करना, तीसरा मोटिव देश की कला-संस्कृति को बढ़ावा देने एवं चौथा मोटिव पूरे भारतवर्ष में अखंड भारत का संदेश लेकर 03 सितंबर को उसने अपने यात्रा की शुरुआत की थी।
उसने बताया कि वह प्रतिदिन तीस से चालीस किलोमिटर की दूरी तय करता हैं। उसने बताया कि एक से डेढ़ वर्ष में पूरे भारत की यात्रा पूर्ण करने को लेकर वह संकल्पित है।