◆ धु-धु कर जलने लगी स्कूली वैन, फायर ब्रिगेड की गाड़ी से आग पर पाया गया काबू
तरैया, सारण।
प्रखंड के तरैया- चंचलिया जाने वाली मुख्य सड़क में देवरिया मुरघटिया के समीप बुधवार को एक प्राइवेट विद्यालय के स्कूली वैन में शॉट सर्किट से आग लग गई। स्कूली मारुति वैन में आग लगने के बाद अफरा-तफरी शुरू हो गई। बच्चे शोर मचाने लगे तबतक चालक ने सूझबूझ दिखाया और गाड़ी से उतरकर गेट खोल दिया। जिससे दर्जनों बच्चे बाल-बाल बच गये। जबकि स्कूली मारुति वैन बीच सड़क पर धू-धू कर जलने लगा। सूचना पाकर तरैया थाना से फायर बिग्रेड गाड़ी पहुची। फायर कर्मी सोनू सिंह व म.एजाज ने अग्निशमन की गाड़ी लेकर पहुंचे और धू – धू कर जल रही मारुति वैन पर पानी की बौछार मारकर आग पर काबू पाया। जानकारी के अनुसार तरैया – देवरिया रोड में स्थित सारण पब्लिक स्कूल के मारुति वैन में छुट्टी के बाद दर्जनों स्कूली बच्चे सवार होकर घर जा रहे थे। विद्यालय से कुछ ही दूरी पर मारुति वैन में शॉट सर्किट से आग पकड़ लिया। मारुति वैन के चालक ने सूझ बूझ का परिचय देते हुए मारुति के तीनों तरफ का गेट खोलकर बच्चों को आग से जलने से बचाया। जबकि बच्चों के स्कूली बैग, लंच बॉक्स, किताबें जलकर राख हो गई।
◆ प्राइवेट विद्यालयों में मानक के अनुरूप नहीं है व्यवस्था, संचालक बच्चों के जान के साथ कर रहे है खिलवाड़
सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों में मानक के अनुरूप व्यवस्था नहीं है। जिसका कारण है कि इस तरह की घटनाएं सामने आती है। एकाध विद्यालयों को छोड़ दे तो किसी भी विद्यालय में मानक के अनुरूप व्यवस्था नहीं है। विद्यालयों में अग्निशामक व्यवस्था, मेडिकल कीट एवं फस्ट एड तक कि व्यवस्था नहीं है। विद्यालय के संचालक पैसे बचाने के चक्कर में कबाड़ में सड़ रहे मारुति वैन, मैजिक वैन, टाटा 407 की बसें खरीदकर पीले रंग से पोतवाकर कर स्कूली बच्चों को ढोना शुरू कर देते है। प्राइवेट स्कूलों के गाड़ियों की जांच की जाये तो अधिकांश बिना कागजात के मिलेंगे। अधिकतर गाड़ियों के फिटनेश, पॉल्यूशन, इंश्योरेंस तक फेल है। प्राइवेट स्कूलों के संचालक सड़े गले गाड़ियों को रखकर बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर गाड़ियों से ढोते है। बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर छोड़ने के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम बसूलते है। स्कूल से दो किमी की दूरी का भाड़ा 800 सौ रुपये लिये जाते है। जबकि सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। इन सभी मामलों में विभागीय अधिकारियों की उदासीनता रवैया ही विद्यालय संचालकों को फलने-फूलने दे रहा है।