तरैया, सारण।
भगवान की कथा सुनने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है कभी भी उनकी कथा सुनी जा सकती है जो कान राघवेंद्र का कथा नहीं सुना वह कान सांप के बिल के समान है उक्त बातें बुधवार को तरैयाँ प्रखंड के भटगाँई दक्षिण टोला में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा में तीसरे दिन वाराणसी से आए सुप्रसिद्ध कथा वाचक श्री मधुकर जी महाराज ने कथा वाचन के दौरान कही।
उन्होंने रामकथा के महत्व को बताते हुए कहा की राम कथा सुनने से जीवन में परिवर्तन आने लगता है। वर्षों से भाई भाई में झगड़ा वाला परिवार राम कथा सुनकर सरल व सहज जीवन जीने लगता है। भाई भाई में प्रेम में बढ़ जाता है। लोग सदमार्ग पर चलने लगते हैं।
आज के प्रसंग में उन्होंने बताया कि जब तक शिव जी के चरणों में प्रेम नहीं होता तब तक श्री राघव जी अपनी भक्ति नहीं देते। भारद्वाज जी को याज्ञवल्क्य जी ने रामचरित से पूर्व शिवचरित सुनाया था। भगवान को केवल सरलता और सहजता वाली भक्ति पसंद है। क्योंकि कपट और छल के द्वारा की हुई भक्ति राघवजी को पसंद नहीं है। निष्काम हृदय में ही भगवान को जानना संभव है।
जैसे महाराजा दशरथ के घर राम जी का जन्म इसलिये हुआ कि दशरथ जी को केवल राम चाहिए थे ना कि संसार। कथा के साथ-साथ झांकी की प्रस्तुति की गई। कथा के बाद महाप्रसाद भंडारा का आयोजन किया गया। मौके पर शेखर सिह, संजीव चौबे, डॉ दिलीप सिह, पंच सरपंच संघ के प्रदेश महासचिव सुनील कुमार तिवारी, अजय सिंह जिला कार्यकारी अध्यक्ष सारण, प्रखंड अघ्यक्ष रविन्द्र सिह, संतोष राय, सीकू सिंह, उमर अली, हरेश्वर सिंह,
राम बाबू सिंह, सुबोध तिवारी, मिन्टू सिह, कृष्ना सिंह, बीटू जी, हरेराम तिवारी, ललन राम, शैलेंद्र सिंह, चंदन ओझा, हिमांशु मिश्रा, मुखिया ओम प्रकाश राम, अमित कुमार सिंह, मुकेश कुमार यादव, नंद किशोर साह, नीरज तिवारी, मुकेश सिंह विकास कुमार राम, अरुण सिंह, दिलीप सिंह, मुनटुन कुमार, परवेज आलम, डॉ रंजय सिंह, सुबोध सिंह, मिथलेश कुमार, गुड्डू सिंह, शिक्षक बबिता देवी, राणा सिंह, बलराम राम, सिपाही सिंह तथा मेला में तैनात दंडाधिकारी कल्याण पदाधिकारी तरैया ज्ञान रंजन समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।