
पटना (राजनीतिक संवाददाता):
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के समाप्त होने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। बुधवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सहित सत्ता पक्ष के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सदन में विपक्ष की आवाज़ को दबाने का सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है, और यह लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरनाक संकेत है।
🗣️ सदन की गरिमा के खिलाफ टिप्पणी
तेजस्वी यादव ने कहा कि वे विधानसभा में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) के समय से संबंधित विषय पर बोल रहे थे, तभी सत्ता पक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं और खुद उपमुख्यमंत्री द्वारा अशोभनीय टिप्पणियाँ की गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा — “यही बोलेगा खाली, कितना बोलेगा?”
तेजस्वी ने इसे बेहद अमर्यादित, सदन की गरिमा के खिलाफ और लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान बताया। उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष का नेता सदन में नहीं बोलेगा तो कौन बोलेगा? सत्ता पक्ष जानबूझकर हंगामा कर रहा है ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।”
तेजस्वी ने यह भी बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने स्वयं उपमुख्यमंत्री और एक अन्य मंत्री को फटकार लगाई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि स्थिति कितनी गंभीर थी।
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🗳️ फर्जी वोटर और मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर उठाए सवाल
तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर भी सरकार और सत्तारूढ़ दलों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया गया है, उसमें कहीं भी विदेशी नागरिकों — जैसे नेपाल या बांग्लादेश से आने वाले लोगों — का उल्लेख नहीं है।
उन्होंने कहा, “फिर भी सत्ता पक्ष के नेता लगातार यह झूठ फैला रहे हैं कि फर्जी वोटर विदेशी हैं। यह जनता को गुमराह करने की साजिश है। अगर फर्जी वोटर सच में हैं, तो भाजपा ने पिछले 11 वर्षों में केंद्र और बिहार में रहकर इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की?”
तेजस्वी का कहना था कि जब विपक्ष के पास ठोस सबूत होते हैं और वह सदन में बहस की मांग करता है, तब सत्ता पक्ष हंगामा कर बच निकलता है। यह सरकार की कमजोर होती स्थिति का संकेत है।
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🧍♂️ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत कटाक्ष
प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जब मैं विधानसभा में बोल रहा था, तब मुख्यमंत्री बीच में उठकर बोलने लगे। उन्हें यह तक नहीं पता था कि चर्चा किस विषय पर हो रही है। सदन में मौजूद सभी लोग जानते थे कि चर्चा किस मुद्दे पर है, लेकिन मुख्यमंत्री को नहीं। हमें उनकी स्थिति पर अब सहानुभूति हो रही है।”
तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा कि “अब बिहार सरकार दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाई जा रही है।” यह साफ संकेत था कि वे भाजपा और केंद्र सरकार पर इशारों में आरोप लगा रहे थे कि वे राज्य की सरकार को नियंत्रित कर रहे हैं।
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📢 लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप
तेजस्वी यादव ने अपनी वार्ता के अंत में कहा कि वर्तमान सरकार, सत्ता की गरिमा, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को न बोलने देना, मुद्दों से भागना और तथ्य आधारित बहस को टालना – यह सब दर्शाता है कि सत्ता पक्ष के पास कोई ठोस नीति नहीं बची है।
उन्होंने कहा, “हम जनता की आवाज़ हैं। हम बोलेंगे, और तब तक बोलते रहेंगे जब तक बिहार में सच और संविधान की रक्षा नहीं हो जाती।”
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🔍 राजनीतिक विश्लेषण
तेजस्वी यादव के इस हमले को कई राजनीतिक जानकार आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी का हिस्सा मान रहे हैं। विपक्ष अब सदन से लेकर सड़क तक सरकार को घेरने की रणनीति अपना रहा है। वहीं सत्ता पक्ष इस बयानबाज़ी को “दृष्टिकोण की हताशा” बता रहा है।
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🧾 निष्कर्ष:
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र खत्म होने के साथ ही राज्य की राजनीति फिर से गरमा गई है। तेजस्वी यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह सरकार को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।