सारण :- जिले के मशरक प्रखंड के बंगरा पंचायत के हासापीर गांव में अवस्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय हासापीर में दो कमरे में पहली क्लास सें लेकर आठवीं क्लास तक के छात्र/छात्राऐ बैठ कर एक ही साथ पठन पाठन करते हैं।
दो कमरे में एक साथ बैठकर पहली क्लास से आठवीं क्लास तक के बच्चे कैसे पढ़ते होंगे, यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है?
जानकारी के अनुसार इस विद्यालय में करीब 239 बच्चों का नामांकन हैं। जिसमें रोजाना करीब 150 बच्चे विद्यालय आते है। विद्यालय आने के बाद सभी क्लास के बच्चे को दो ही कमरे में बैठ जाते हैं। इस विद्यालय में दो और कमरे बने हुए हैं। लेकिन वह जर्जर स्थिति में है और ऊपर छत ही नहीं है। जिसकारण सभी क्लास के छात्र-छात्राएं दो ही कमरे में बैठकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं।
बताया जाता है की क्लास रूम में छात्रों की ज्यादा उपस्थिति होने पर पर विद्यालय परिसर मे खुले आसमान का भी सहारा लिया जाता है। जबकि खुले आसमान के नीचे सूखे पेड़ की छांव में कक्षाएं संचालित होती है जो कि जान जोखिम मे डालकर बच्चे को बैठाया जाता है।
विद्यालय परिसर में सूखे पेड़ बनते है बच्चों के लिए कमरे।
वही सातवी कक्षा की छात्रा ममता कुमारी समेत अन्य छात्र-छात्राओं ने बताया हैं कि पहली क्लास से लेकर आठवीं क्लास तक के बच्चे दो ही कमरे में बैठते हैं। जिस कारण पढ़ाई में परेशानी होती है। छात्र और छात्राओं ने जिला प्रशासन से मांग की है कि हर वर्ग के लिए अलग क्लास रूम बनाया जाए।
इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य अनंत कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों को बैठने में काफी परेशानी होती है। दो ही कमरे में सारे बच्चे बैठते हैं। बच्चे जब ज्यादा आते हैं तो पहली से पांचवी क्लास के बच्चों को खुले आसमान के नीचे बाहर पढ़ाई करवाई जाती है। वही वर्ग 6 से 8 तक के बच्चों को इसी दो कमरे में पढ़ाया जाता है। पुराने भवन में दो कमरे हैं लेकिन इसकी दिवार जर्जर स्थिति में हैं और ऊपर छत भी नहीं हुआ है, जिस कारण वहां बच्चों को नहीं बैठने दिया जाता।