स्टेट डेस्क: नालंदा में जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत के बाद बिहार में एक बार फिर शराबबंदी कानून का विरोध शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टी RJD और कांग्रेस के साथ-साथ नीतीश सरकार की सहयोगी HAM भी इसे लेकर हमलावर है। समय-समय पर BJP भी कानून की समीक्षा करने की मांग कर चुकी है
लोगों की मौत से नाराज HAM सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा है, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस पर विचार करना चाहिए। जब PM कृषि कानून को वापस ले सकते हैं तो बिहार सरकार शराबबंदी कानून वापस क्यों नहीं ले सकती?’ वहीं, RJD ने कहा है, ‘बिहार में शराबबंदी कानून फेल है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।’
मांझी बार-बार इस कानून को वापस लेने की मांग करते रहे हैं
HAM के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने अपने बयान में मांझी को कोट करते हुए कहा है, ‘मांझी बार-बार इस कानून को वापस लेने की मांग करते रहे हैं। जब केंद्र सरकार कृषि कानून को वापस ले सकती है तो बिहार सरकार इस कानून को वापस क्यों नहीं ले सकती?’
HAM की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है जब नीतीश कुमार पूरे जोश के साथ शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए समाज सुधार अभियान चला रहे हैं। हालांकि, नीतीश कुमार का यह अभियान कोरोना की वजह से स्थगित है, लेकिन शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए लगातार सरकार मद्य निषेध कानून को और सख्त बना रही है।
RJD ने कहा- पुनर्विचार करें मुख्यमंत्री
वहीं, RJD प्रवक्ता भाई विरेंद्र ने कहा, ‘रोज जहरीली शराब बिहार में बन रही है, लोग सेवन भी कर रहे हैं। मौत भी हो रही है। सैकड़ों मौतें जहरीली शराब से हुई है और मुख्यमंत्री टुकुर-टुकुर देख रहे हैं। वे जिद पर अड़े हैं। शराबबंदी कानून पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और पुनर्विचार करना चाहिए।’
प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं, ‘बिहार में पूरी तरह से शराबबंदी कानून फेल है। जब नीतीश कुमार के गृह जिले में ऐसा हाल है तो बाकी जिलों का क्या हाल होगा, यह किसी से छुपा नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए।’