छपरा, सारण
जन सुराज पदयात्रा के 184वें दिन की शुरुआत सारण के छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत पूर्वी तेलपा पंचायत स्थित पदयात्रा कैंप में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ पूर्वी तेलपा पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा शेरपुर घेघटा, बिशुनपुरा, महाराजगंज, चिरांद होते हुए छपरा सदर प्रखंड अंतर्गत जलालपुर पंचायत के सीनियर सेकेंडरी हाई स्कूल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत किशोर सारण के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 4 आमसभाओं को संबोधित किया और 5 पंचायत के 9 गांवों से गुजरते हुए 15 किमी की पदयात्रा तय की।
लालू जी ने पिछड़ों को आवाज दी और नीतीश कुमार ने आर्थिक विकास कर दिया, इन दावों के बाद भी बिहार देश का सबसे भुखमरी वाला राज्य क्यों है: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जो भी दल या नेता ये कहता है कि उसने बिहार के लिए काम किया है, उसको सही मान भी लेते हैं। ये भी मान लेते हैं कि कॉंग्रेस ने अपने 40 वर्ष के कार्यकाल में कुछ काम किया होगा, लालू जी ने भी अपने राज में जैसा वो दावा करते हैं कि उन्होंने सामाजिक न्याय का काम किया, उन्होंने गरीबों और वंचितों को आवाज दी है, ये भी मान लेते हैं नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार ने भी कुछ विकास कर दिया है। अगर इन सब बातों को मान लेते हैं कि ये सब बात ठीक है, फिर भी आज सच्चाई यही है कि बिहार आज भी देश का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा राज्य है। कोई भी आम आदमी इस बात को बता सकता है कि पिछले 40-50 सालों से बिहार जिस रास्ते पर चल रहा है उससे बिहार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
बिहार के पूर्वजों ने पूरे देश पर राज किया है, लेकिन आज बिहार के लड़कों को पढ़ाई और मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में गाली खानी पड़ती है: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लड़के पढ़ने और मजदूरी के लिए दूसरे राज्य में जाते हैं। वहां उनको बिहारी कहकर संबोधित किया जाता है। कोई कहता है कि बिहारी मतलब बेबकुफ़, कोई उनको तमिलनाडु में थप्पड़ मार देता है, कोई महाराष्ट्र में मार देता है। ये हमारी और हमारे बच्चों की दुर्दशा है। बिहार के पूर्वजों ने देश पर राज किया है। 1500 सालों तक देश की राजनीति बिहार से चली है और आज हमारी ये दुर्दशा हो गई है कि हमारे लड़कों को पढ़ने के लिए और मजदूरी के लिए पुरे देश में घूमते है। वहां उनको जलालत की जिंदगी जीनी पड़ रही है। अगर ये व्यवस्था बदलनी है तो इससे बाहर निकलना पड़ेगा। संकल्प लीजिए कि बिहार में ऐसी व्यवस्था बनानी है की हमारा बच्चों को पढ़ने और रोजगार के लिए बिहार से बाहर न जाना पड़े।