सारण मढ़ौरा
शहर के पूर्वी छोड़ पर रौजा में स्थित ब्रह्म विद्यालय सह आश्रम में मकर संक्रांति पर जूटे हजारों श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर सामूहिक रुप से दही चूरा का प्रसाद ग्रहण किया। अलग अलग प्रदेश एमपी, झारखण्ड, बंगाल, यूपी और बिहार के कई जिले के आश्रम से स्वामी महात्मा एवं स्रधालु रौजा पहुंचे थे। इस पर विशेष दिन पर आश्रम जूटे लोगों श्रद्धालुओं ने स्वामी सरकार स्वामी सत्यानंद जी महाराज का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया ।
मकर संक्रांति पर बोलते हुए स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने कहा कि धर्म में सकरात्मकता का अर्थ पुण्य और नकरत्मकता का अर्थ पाप है। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है । सकरात्मकता ही हमें पुण्य की तरफ अग्रसारित करता है।
गुरू की महत्ता पर कहा कि आदि काल से गुरु कि कृपा से ही लोगों को सत्य का मार्ग मिला है।कहा कि आत्मा और परमात्मा के बीच के अंतर को मिटाकर गुरु अलौकिक संसार का आत्मसात कराता है। भारत को महान देश बताते हुए कहा कि यह देश गुरुओं का भी देश है जहा गुरुओं के ज्ञान से लोग अलौकिक ज्ञान को प्राप्त करते रहे है। इस दौरान सत्यानंद जी महाराज ने आश्रम के संस्थापक गुरू रहे छपरा दहियावा निवासी अद्वैतानंद जी महाराज को याद किया। कहा कि परमहंस दयाल के जीवन का कार्य और दर्शन सम्यकमूलक था।
छपरा से निकल उन्होने अपना कर्म क्षेत्र पाकिस्तान को चूना था इस अवसर पर महात्मा व्यासानंद जी , महात्मा शिवानंद , महात्मा माधवप्रकाशानंद , महात्मा प्रमेश्वरानंद , महात्मा शब्दयोगानंद, महात्मा अनरागानंद, महात्मा ओकारानंद, मढ़ौरा के चिकित्सक डा. बीके सिंह, डा. मंजू सिंह, डा राहूल हरिस सहीत अन्य श्रद्धालु और महात्मा मौजुद थे।