छपरा शहर की रिहाइशी इलाकों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। शहर के कुछ इलाकों में जैसे कि सलेमपुर, दहियावां टोला और मोहन नगर, दर्शन नगर में बंदरों के आतंक के कारण लोगों में भयावह माहौल पैदा हो रहा है।
अमूमन यह देखा जा रहा है कि इन बंदरों ने राहगीरों और घरों के खानों को चोरी करने के अलावा लोगों को काट कर बच्चे और महिलाओं को काट कर घायल किया भी है। इन बंदरों के विस्थापित होने के कारण शहर के कुछ इलाकों में बंदरों का आतंक फैल गया है। शहर में पिछले दस सालों से पारित सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत बन रहे भवनों/ कार्यकालों/ के वजह से स्थिति उत्पन्न हुई है।
पिछले 2 वर्षों से खनुआ नाले के आसपास विशालकाय पेड़ों को काटा जा रहा है तथा बिशेश्वर सेमिनरी स्कूल में बिहार विद्यालय बोर्ड आफिस, जिला परिषद के आवास के पीछे बन रहे सरकारी विभाग, नवनिर्मित प्रेक्षागृह सह आर्ट गैलरी, नवनिर्मित सिविल कोर्ट एवं अन्य सरकारी विभागों के बनने की वजह से जिससे बंदरों एवं पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है।
खनुआ नाले पर स्थित हजारों पेड़ कटने, डबल डेकर के सटे अगर-बगल के फुटपाथ का चौड़ीकरण के दौरान भी चार से पांच दर्जन पेड़ों को काटा गया है और बंदरों को अन्य स्थानों की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। और शहर के बढ़ते जनसंख्या तथा मुफस्सिल क्षेत्रों में आवास/बाजार का निर्माण जिससे अन्य पक्षी/जानवर विस्थापित हो रहे हैं। स्थानीय पर्यावरण वन अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रहे