सारण :- जिले के मशरक प्रखंड के 17 पंचायतों में दो पंचायत पूर्वी और पश्चिमी पंचायत को सरकार ने नगर पंचायत में पदोन्नति दी तों लगा कि क्षेत्र का विकास समुचित तरीके से होगा वही स्थानीय लोगों ने खुशी जाहिर किया पर जैसें जैसें समय बीता तो लगा कि इलाका नगर पंचायत नही नरक पंचायत घोषित हुआ है।
पंचायत से नगर पंचायत बने इलाकों के ग्रामीण इलाकों में विकास की बात कों तों छोड़िए बाजार क्षेत्र में नहीं तो सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पर्याप्त यूरिनल की। वही केन्द्र सरकार द्वारा जहां सोच वहां शौचालय के नारे लगवा रही है वही नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त मशरक में कहीं भी सुलभ शौचालय की सुविधा नहीं है जिससे आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वही इस मामले को लोगों के द्वारा जनप्रतिनिधियों और नगर पंचायत प्रशासन के संज्ञान में लाया पर शौचालय तों छोड़िए पीने के शुद्ध पेयजल की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। स्टेशन रोड, महावीर चौंक,बस स्टैंड में आने वाले यात्रियों और दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।गौरतलब है कि जब पंचायत था तों विकास हो रहीं थी वही नगर पंचायत के बाद हालत आज भी वहीं है जो पहले थी बदला है तो सिर्फ लोगों की भीड़ और समस्याओं का अंबार। आज तक ना किसी ने सुध ली नाही लेने की दिलचस्पी दिखाई।समय के हाथों नियति के भरोसे छोड़ दिया जहां तक पहुंचना है पहुंचो जहां रुकना है रुक जाओ।
स्थानीय लोग बताते हैं कि मशरक में यदि जो भी विकास हुआ वह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की देन है।
लोगों का यह भी कहना है कि उनके बाद एक शौचालय और एक मूत्रालय के लिए लोग तरस रहें है। सोचिए घर से बाजार करने आई महिलाओं को अगर इस स्थिति का सामना करना पड़े तो क्या गुजरेगी उस महिला पर और वह रूके विकास के लिए किसे जिम्मेवार ठहराएगी। वहीं उच्च न्यायालय पटना की अधिवक्ता आरती कुमारी कहती हैं कि नगर पंचायत क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति पर किसी को कोई चिंता नही है।
कई लड़कियों ने बताया कि नगर पंचायत और मार्केट मालिकों को भी इस बात की चिंता नहीं है कि शौच की समस्या पर महिलाओं को क्या होती है परेशानी। इस समस्या पर सबसे अधिक पीड़ित है महिला समाज जो एक गंभीर समस्या है। पर लोगों की जागरूकता की कमी की वजह से यहां महिलाओं को रोजाना ही शर्मशार होना पड़ता है।