
गरखा (सारण), 09 जुलाई 2025 – केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ आज गरखा विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन दलों द्वारा आयोजित बिहार बंद ने व्यापक असर दिखाया। राजद, कांग्रेस, वाम दलों और वीआईपी पार्टी के कार्यकर्ता सुबह से ही गरखा के प्रमुख चौराहों, खासकर शहीद इंद्रदेव चौक पर जुटे और सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। बंद का नेतृत्व स्थानीय विधायक और पूर्व मंत्री श्री सुरेंद्र राम ने किया।

केंद्र और राज्य सरकार पर लोकतंत्र पर हमला करने का आरोप
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार और नीतीश सरकार पर गरीब, मजदूर, छात्र, युवाओं और किसानों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया। विशेष रूप से वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर आक्रोश जताया गया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार जानबूझकर गरीबों, मजदूरों और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम वोटर लिस्ट से हटा रही है, ताकि चुनाव में उनके मताधिकार को खत्म किया जा सके।
पूर्व मंत्री सुरेंद्र राम ने अपने भाषण में कहा:
“एनडीए सरकार लोकतंत्र की हत्या कर बिहार में पिछले दरवाजे से सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। हम गरीबों, किसानों, छात्रों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनता इस सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में नया बिहार बनाएगी।

गरखा बंद रहा पूरी तरह प्रभावी
बंद के समर्थन में दुकानदारों, ऑटो-रिक्शा चालकों और आम जनता ने भी सहयोग किया। कार्यकर्ताओं ने इंद्रदेव चौक के चारों ओर घूम-घूम कर नारेबाजी करते हुए लोगों से समर्थन मांगा। सभी चौक-चौराहों पर आवागमन बाधित रहा, जिससे बंद का व्यापक असर देखने को मिला।
प्रमुख नेता और कार्यकर्ता रहे मौजूद
बंद को सफल बनाने में कई प्रमुख नेताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें शामिल थे:
- दिनेश राय – मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष
- डॉ. सुरेंद्र यादव – राजद प्रखंड अध्यक्ष
- दीपक शर्मा – कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष
- राहुल कुमार यादव – युवा कांग्रेस नेता
- एजाज़ खान – राजद अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष
- राजदेव राम, उपेंद्र यादव, ललन राम, नंदकिशोर राय, मैनेजर राय, जयप्रकाश राम, अनिल यादव, गोपाल राय, शहाबुद्दीन अंसारी, मोहन राम, धर्मेंद्र यादव, राजकुमार यादव, सत्येंद्र यादव, प्रमोद यादव, शंकर माझी सहित सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता।