बिहार में एनडीए की 40 सीटों पर जीत के लक्ष्य को पार करने की राहें लगातार कठिन होती जा रही है। सूबे में लगभग आधा दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हो गई है। जहां मुकाबला आमने-सामने का नहीं, त्रिकोणीय हो गया है।
इस लिस्ट में नया नाम बक्सर लोकसभा सीट का भी जुड़ गया है। जहां भाजपा प्रत्याशी मिथलेश तिवारी और राजद प्रत्याशी सुधाकर सिंह को चुनौती देने के लिए आईपीएस की नौकरी छोड़कर अपने जिले लौटे आंनद मिश्रा ने अपनी इंट्री दर्ज करा दी है। आनंद मिश्रा के चुनाव लड़ने के फैसले ने बक्सर में होनेवाले बैटल के तमाम समीकरण बिगाड़कर रख दिए हैं.
बक्सर में पिछले कई महीने आनंद मिश्रा लोगों से मिल रहे हैं। माना जा रहा था कि उन्हें भाजपा से टिकट मिल सकता है। लेकिन उनकी जगह भाजपा ने मिथलेश तिवारी पर भरोसा जताया। ऐसे में आनंद मिश्रा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। आनंद मिश्रा ने बताया कि “कुछ लोगों के कारण बीजेपी की सदस्यता नहीं मिल पाई, लेकिन अब बक्सर से वापसी संभव नहीं है। बता दें कि आनंद मिश्रा ने बीजेपी से टिकट मिलने की आस में वीआरएस लिया था।
आनंद मिश्रा ने कहा कि “शाहाबाद की मिट्टी वापस लौटना नहीं सिखाती.अब बक्सर के लोगों के साथ ही रहना है बक्सर के लोगों के लिए काम करना है. अगर किसी पूर्व अधिकारी के साथ ऐसा हुआ है तो उसे जेनरालाइज नहीं मानना चाहिए. हम बक्सर में विज़न के साथ आएं हैं और सियासत के जरिये इलाके की सेवा का संकल्प लिया है.”
आनंद मिश्रा का कहना है कि अगर बक्सर की जनता उन्हें आशीर्वाद देती है तो दावा करता हूं कि इस इलाके को कानून-व्यवस्था के पैमाने पर पूरे देश में नंबर वन बनाऊंगा. आनंद मिश्रा का कहना है कि “राजनीति एक ऐसा बड़ा प्लेटफॉर्म है जिसके जरिये जनता की सेवा अच्छी तरह से की जा सकती है. इसलिए ही मैंने पुलिस अधिकारी की नौकरी छोड़कर सियासत में एंट्री ली हैउन्होंने दावा किया कि युवाओं के साथ-साथ उन्हें हर जाति, हर वर्ग और हर समुदाय का पूरा समर्थन मिल रहा है।
2011 बैच के आईपीएस रहे आनंद मिश्रा मूल रूप से भोजपुर जिले के शाहपुर थाना इलाके के प्रसौंडा ग्राम के रहनेवाले हैं। हालांकि उनका पूरा परिवार कोलकाता में रहता है और आनंद मिश्रा की पढ़ाई-लिखाई भी कोलकाता में ही हुई थी। सिर्फ 22 साल की उम्र में आईपीएस अधिकारी बन कर सुर्खियां बटोरनेवाले आनंद मिश्रा असम के लखीमपुर में एसपी के रूप में तैनात थे। जहां उनकी गिनती तेज तर्रार पुलिस अधिकारी के रूप में होती थी।
बीजेपी से टिकट मिलने की आस में उन्होंने जनवरी 2024 में वीआरएस ले लिया। हालांकि उन्हें निराशा हाथ लगी और बीजेपी से टिकट नहीं मिला, ऐसे में आनंद मिश्रा बक्सर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकने के लिए तैयार हैं।
बिहार में बक्सर के अलावा कई ऐसी सीटें हैं,जहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। जिसमें महागठबंधन और एनडीए की लड़ाई में निर्दलीय बड़ी सेंध लगा सकते हैं। जिन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की बात कही जा रही है। उनमें पूर्णिया, काराकाट, सीवान, महाराजगंज, नवादा, बेतिया सीट शामिल हैं।