
घायल के बाल काटने के लिए कैंची के बजाय पुराने ब्लेड का इस्तेमाल, ग्रामीणों में आक्रोश
सारण। जिले के तरैया प्रखंड स्थित रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। सोमवार को भूमि विवाद में घायल हुए टिंकू कुमार यादव को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां स्वास्थ्यकर्मी की लापरवाही और संसाधनों की कमी ने अस्पताल की बदइंतजामी को सामने ला दिया।
मरीज के सिर की चोट का इलाज करने से पहले स्वास्थ्यकर्मी ने बाल काटने के लिए कैंची की जगह पुराने और जंग लगे ब्लेड का इस्तेमाल कर डाला। इस दृश्य को देखकर परिजन हैरान रह गए और अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठने लगे।
कैंची चोरी होने का अजीब बहाना
घायल के भाई विनय कुमार यादव ने जब स्वास्थ्यकर्मी से पूछा कि कैंची का उपयोग क्यों नहीं किया गया, तो उसने जवाब दिया कि कैंची अस्पताल से चोरी हो गई है। यह सुनकर मौजूद लोग और भी भड़क उठे। इसी बीच अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. रोहित कुमार दुबे भी पहुंचे और स्थिति को संभालने की कोशिश की।
मरीज के परिजनों ने इस लापरवाही की शिकायत छपरा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन से की। इसके बाद घायल टिंकू को प्राथमिक इलाज देने के बाद बेहतर उपचार हेतु छपरा रेफर कर दिया गया।
ग्रामीणों में गुस्सा, कहा – मरीजों की जान से खिलवाड़
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रेफरल अस्पताल में बुनियादी चिकित्सा उपकरणों और संसाधनों की भारी कमी है। आए दिन मरीजों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण गरीब मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि अस्पताल में जल्द ही पर्याप्त सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध नहीं कराए गए, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। लोगों ने कहा कि यह स्थिति कई वर्षों से बनी हुई है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार बदहाल हो रही है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की सफाई
रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एबी शरण ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि अस्पताल में सभी संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने इस घटना को स्वास्थ्यकर्मी की व्यक्तिगत लापरवाही करार दिया और कहा कि दोषी कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल किसी एक कर्मचारी की गलती नहीं बल्कि पूरे अस्पताल तंत्र की असफलता है। उनका कहना है कि अगर अस्पताल में वास्तव में सभी संसाधन मौजूद हैं, तो मरीज को कैंची चोरी होने का बहाना क्यों सुनना पड़ा?
स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविकता उजागर
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। सरकारें लाख दावे करें, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मरीजों को आज भी प्राथमिक सुविधाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं।
अस्पतालों में उपकरणों की कमी, दवाओं का अभाव, स्टाफ की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता – ये सभी मिलकर ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत सामने लाते हैं। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ लोगों का विश्वास खत्म करती हैं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।