
तरैया के बगही हरखपुर में रिश्तों पर भारी पड़ा गुस्सा, छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य अंधेरे में
छपरा (कोर्ट)। तरैया थाना क्षेत्र के बगही हरखपुर गांव में ज़मीन विवाद के चलते हुए झगड़े ने एक परिवार की खुशियां हमेशा के लिए छीन लीं। एक ही घर में रहने वाले चचेरे भाइयों के बीच शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ा कि देखते-देखते लाठी-तलवार चल गई और खून-खराबा हो गया। इस घटना में एक भाई की मौत हो गई, जबकि चार अन्य भाई अब जिंदगी भर के लिए जेल की सलाखों के पीछे रहेंगे।
बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-14 अनंत कुमार की अदालत ने तरैया थाना कांड संख्या 225/18 (सत्रवाद संख्या 489/20) में दोषी पाए गए कामेश्वर राय, दूधनाथ राय, मनोज राय और विनोद राय को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 के तहत आजीवन कारावास और धारा 307 के तहत 10-10 साल की अतिरिक्त सज़ा सुनाई।
कैसे हुआ विवाद का अंत खून-खराबे में
मामले के अनुसार, 20 अगस्त 2018 की सुबह करीब 7:30 बजे बगही हरखपुर निवासी कुंदन कुमार अपने मुर्गी फार्म पर बैठे थे। उसी समय उनके चचेरे भाई — चारों आरोपी — लाठी और तलवार लेकर वहां पहुंचे और गाली-गलौज करने लगे। विवाद को शांत कराने के लिए कुंदन के चचेरे भाई चंदन कुमार आगे आए, लेकिन आरोपितों ने गुस्से में आकर जान से मारने की नीयत से उन पर तलवार से वार कर दिया।
गंभीर रूप से घायल चंदन को पहले तरैया पीएचसी, फिर पीएमसीएच और आखिर में इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया। 39 दिन तक मौत से लड़ने के बाद चंदन ने दम तोड़ दिया।
एक ही घर, टूटा पूरा परिवार
यह सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि एक घर के बिखरने की दास्तां है। मृतक और दोषी सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। पहले साथ बैठकर खाना खाने वाले, हंसी-मज़ाक करने वाले, त्योहार मनाने वाले रिश्तेदार अब एक-दूसरे से जुदा हो गए हैं।
घर का अच्छा-खासा माहौल, चलता-फिरता कारोबार और सामाजिक प्रतिष्ठा पल भर में मिट्टी में मिल गई। अब एक ओर चंदन की मां और पिता बेसहारा हैं, तो दूसरी ओर दोषियों के छोटे-छोटे बच्चों का बचपन बाप के बिना बीतेगा। उनकी पढ़ाई, परवरिश और भविष्य अंधेरे में चला गया।
गुस्से की कीमत: “जब नाश मनुष्य पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है”
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने कहा है — “जब नाश मनुष्य पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है।” यह घटना इस कहावत को सच साबित करती है। थोड़े से गुस्से और ज़मीन के टुकड़े के लिए एक घर ने खुद अपनी खुशियां खत्म कर दीं। अगर उस दिन कोई एक भी इंसान शांत होकर सोचना चाहता, तो शायद आज यह परिवार टूटा न होता।
अदालत में न्याय और गवाहियों का सिलसिला
अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सर्वजीत ओझा, अपर लोक अभियोजक ध्रुवदेव सिंह और उनके सहयोगी चंद्र प्रकाश नागवंशी ने केस को मजबूती से रखा। जांचकर्ता और चिकित्सक समेत कुल 11 गवाहों की गवाही हुई। सबूतों और बयानों के आधार पर अदालत ने चारों आरोपितों को दोषी करार दिया और सख्त सज़ा सुनाई।
इस घटना से लोगों को क्या सीख लेनी चाहिए
1. गुस्से में लिए फैसले जिंदगी बर्बाद कर देते हैं – पलभर का क्रोध रिश्तों, परिवार और भविष्य को तबाह कर देता है।
2. विवाद का समाधान बातचीत से करें – कोई भी विवाद, चाहे ज़मीन का हो या पैसे का, बैठकर समझदारी से सुलझाना ही सही रास्ता है।
3. हिंसा से कोई जीतता नहीं, दोनों पक्ष हारते हैं – एक पक्ष जान गंवाता है, दूसरा जेल की सलाखों के पीछे जिंदगी गुजारता है।
4. बच्चों का भविष्य सबसे कीमती है – अपनी नादानी और जल्दबाज़ी में उन्हें अंधेरे में न धकेलें।
5. रिश्ते पैसों और संपत्ति से बड़े होते हैं – जो रिश्ते टूट जाएं, उन्हें वापस जोड़ा नहीं जा सकता।
बगही हरखपुर गांव की घटना सिर्फ एक हत्या की ख़बर नहीं, बल्कि यह हमारे समाज और परिवारों के लिए एक चेतावनी है। एक ही घर में रहने वाले भाइयों के बीच ज़मीन को लेकर शुरू हुआ विवाद पलभर में हिंसा में बदल गया। नतीजा—एक भाई की लाश, चार भाई उम्रकैद की सज़ा काटते हुए, और पूरा परिवार बिखर चुका है।
सोचिए, जिस घर में कभी एक साथ त्योहार मनते थे, आज वहां मातम पसरा है। एक ओर मृतक के छोटे भाई की ममता से वंचित हैं, तो दूसरी ओर दोषियों के बच्चे अपने पिता को देखने के लिए बरसों तक जेल की सलाखों के बीच इंतजार करेंगे। घर का चूल्हा तो जलता रहेगा, लेकिन उसमें अब कभी वह स्नेह और अपनापन नहीं लौट पाएगा।
समाज के लिए संदेश
यह घटना हमें आईना दिखाती है—
हम संपत्ति तो संजोते हैं, लेकिन रिश्तों को संभालना भूल जाते हैं। हम पैसे कमाने की कला सीखते हैं, लेकिन गुस्से पर काबू पाने की समझ नहीं रखते। और जब मनुष्य का विवेक मर जाता है, तो वह अपने ही हाथों अपना घर और भविष्य तबाह कर देता है।
आज, बगही हरखपुर की कहानी से हमें यही सीख लेनी चाहिए कि किसी भी विवाद में हिंसा का रास्ता चुनना, असल में दोनों पक्षों की हार है। जीत उसी की होती है, जो रिश्तों को बचा ले।