उन्होंने कहा की कुछ साथी हैं जो संगीत से सदन तक पहुंचे हैं, वे भी अपने स्तर से लड़ाई लड़ रहे हैं, ताकि भोजपुरी को सरकार आठवीं अनुसूची में शामिल कर सके।
मर्यादा के साथ अड़िग खड़ी भोजपुरी
देवघर पहुंचे खेसारीलाल ने बातचीत में कहा कि भोजपुरी की कोई लिपि नहीं है। जबकि छपरा, सीवान, आरा, बक्सर, बलिया सहित अन्य शहरों में भी भोजपुरी अपनी मर्यादा के साथ अडिग खड़ी है। क्षेत्रीय भाषा होने के कारण हर दो-चार शहर के बाद भोजपुरी भाषा में बदलाव हो जाता है। हमारी कोशिश है कि मॉरीशस में जब भोजपुरी को अपना सम्मान मिला है तो अपने देश में भी उचित स्थान एवं सम्मान मिले हमारे भोजपुरी के तीन-तीन भाई सरकार में शामिल हैं। मुझे उम्मीद है कि एक दिन भोजपुरी को अवश्य सम्मान मिलेगा, जिसकी वो हकदार हैं।
बाबाधाम आने के सवाल पर खेसारीलाल ने कहा कि देवघर नगरी आस्था की नगरी है। यहां बाबा कण-कण में बिराजे हुए हैं। कभी यहां मैं घूम-घूम कर अपने गीतों का कैसेट बेचा करता था आज बाबा बैद्यनाथ का ही आशीर्वाद है। कि यह मुकाम हासिल हो सका है। कोशिश है और बेहतर कर सकूं इसलिए रोज नया करने का प्रयास करते रहता हुँ।
उन्होंने कहा कि संगीत एक नशा है। हम संगीत के माध्यम से लोगों को मनोरंजन के उस नशे तक ले जाकर झूमाने का प्रयास करते हैं। संगीत के जरिए भगवान के प्रसाद को जन-जन तक पहुंचाते हैं। उम्मीद है कि नया श्रावणी अलबम . एक चिलम ले लअ…कांवर लेके हिलअ.. लोगों को खूब पसंद आयेगा।
मौके पर रेडक्राॅस सोसाइटी के चेयरमेन जीतेश राजपाल, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष संजय मिश्र एवं अन्य सदस्य मौजूद थे।