बिहार में जाति आधारित सर्वे का पहला दौर पूरा हो चुका है। जाति आधारित गणना 7 जनवरी को बिहार में शुरू हुई थी, जिसे दो चरण में पूरा किया जाना है।
इसका पहला चरण लोगों के घरों की गणना था, जिसे जिला प्रशासन की मदद से पूरा कर लिया गया है, माना जा रहा है कि इस माह के अंत तक इसकी फाइनल रिपोर्ट को भेज दिया जाएगा। पहले चरण में बिहार के 38 जिलों मे पिछले 14 दिन में 2.5 करोड़ घरों की गिनती की गई है। इसमे जिला प्रशासन की भूमिका काफी अहम रही है। जिला इसके दूसरे चरण की शुरुआत 11 अप्रैल से होगी, जिसमे लोगों की जाति, उनके सामाजिक-आर्थिक हालत की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। हालांकि इस सर्वे के लिए अभी फॉर्म के प्रारूप को तैयार नहीं किया गया है, लेकिन जल्द ही इसके प्रारूप के लिए फॉर्म को तैयार कर लिया जाएगा।
जनरल एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि फॉर्म मे तकरीबन 200-300 जातियां दर्ज होंगी, जिसमे से एक जाति को लोगों चुनना होगा। इसकी मदद से जातियों की अलग-अलग स्पेलिंग के आधार पर गलत आंकड़ों को इकट्ठा करने से रोका जा सकता है। दूसरे चरण में घर के मुखिया का मौजूद होना जरूरी होगा, जोकि इस बात की गारंटी लेंगे कि दी गई जानकारी सही है। सर्वे के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी घर-घर जाएंगी, इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता भी होंगे जो स्थानीय गांव के होंगे जिन्हें जातिगत लोकेशन की जानकारी होगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि किसी भी तरह आंकड़ों में गड़बड़ी ना हो।
दूसरे चरण में लोगों से विस्तार से उनकी जानकारी ली जाएगी, जिसमे उनके पास कितनी जमीन है, किसनी संपत्ति के मालिक हैं, कितनी शिक्षा है, रोजगार, मोबाइल, इंटरनेट की खबत, आय आदि जानकारी शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि दूसरे चरण के लिए फॉर्म को फरवरी माह के आखिरी हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा ताकि समय पर यह फॉर्म हर जगह पहुंचाया जा सके। लोगों को मोबाइल एप के साथ इसकी हार्ड कॉपी भी दी जाएगी, अगर ऐप ना चले तो इसे कागज में भरा जा सके।