तरैया, सारण।
मकर संक्रांति 2023 को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है। कुछ लोग मकर संक्रांति हमेशा की तरह 14 जनवरी को मनाने की बात कर रहे हैं तो वहीं कुछ 15 जनवरी को मकर संक्रांति बता रहे हैं। लेकिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार सही तारीख और मुहूर्त 15 जनवरी को हो रहा है।
उक्त बातें सारण जिला युवा ब्राह्मण चेतना मंच के उपाध्यक्ष आचार्य सुकेश त्रिवेदी ने कही।
उन्होंने कहा कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात्रि और 15 जनवरी रविवार की सुबह 02:10 बजे हो रहा है और सूर्य धनु से मकर राशि में जा रहे हैं। इस हिसाब से मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी रविवार को ही मनाना शुभ माना जा रहा है। सुकेश त्रिवेदी के अनुसार इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ, सूर्योपासना करनी चाहिए। इसके साथ ही अन्न, तिल-गुड़ और वस्त्र दान करने चाहिए। इस दिन खिचड़ी बनाकर दान करने और खाने का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति का पुण्यकाल
15 जनवरी को सुबह 07:15 बजे से लेकर शाम 05:46 बजे तक रहेगा और इसका महा पुण्यकाल सुबह 07:15 बजे से सुबह 09:00 बजे तक है।
संक्रांति पर रविवार का संयोग
इस साल मकर संक्रांति रविवार के दिन है। रविवार को सूर्य देव की पूजा करते हैं और मकर संक्रांति के दिन भी सूर्य पूजा करते हैं। ऐसे में इस बार सूर्य पूजा के लिए मकर संक्रांति के साथ दिन भी शुभ है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से उसका अधिक फल प्राप्त होगा। पिछले तीन वर्षों से मकर संक्रांति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी है।
बता दें कि पहले मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता था, लेकिन 2015 से मकर संक्रांति की तिथि यानि 14 या 15 जनवरी को लेकर असमंजस बरकरार है। देशभर में कुछ लोग पुरानी मान्यता के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते हैं तो कुछ 15 जनवरी को मनाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इन दोनों में से कौन सी तिथि सही है।
वहीं वैज्ञानिक मतों के अनुसार करीब 1700 साल पहले मकर संक्रांति 22 दिसंबर को मनाई जाती थी।
बता दें कि मकर संक्रांति के आध्यात्मिक महत्व के साथ ही इसका वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। इससे सूर्य मकर राशि में एक दिन की देरी से प्रवेश करता है। इसी कारण करीब 1700 साल पहले मकर संक्रांति दिसंबर माह की 22 तारीख को मनाई जाती थी। बता दें कि मकर संक्रांति का समय 80 से 100 सालों में एक दिन आगे बढ़ जाता है। सूर्य के मकर राशि में जाने में होने वाली इस देरी की वजह से अब मकर संक्रांति दिसंबर के स्थान पर जनवरी में मनाई जाने लगी है। बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी में भी मकर संक्रांति की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी। उस समय 13 जनवरी और 14 जनवरी को मकर संक्रांति की तिथि को लेकर असमंजस बना रहता था।
शास्त्रों और वैज्ञानिकों की मानें तो मकर संक्रांति की तिथि को लेकर 2015 से शुरू हुई असमंजस की यह स्थिति 2030 तक इसी तरह बरकरार रहेगी। इसकी वजह भी सूर्य आधारित कैलेंडर ही है। इसमें लीप ईयर का भी अहम योगदान है। हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का समय थोड़ा-थोड़ा बढ़ जाता है।
2030 के बाद तीन साल 15 जनवरी और एक साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
फिर मकर संक्रांति की स्थाई तिथि 15 जनवरी हो जाएगी। इसी तरह कई सालों बाद मकर संक्रांति की तिथि 16 जनवरी और फिर एक-एक दिन आगे बढ़ती रहेगी।