बिहार में महागठबंधन की सरकार का आज विस्तार होना है. मंगलवार को नीतीश कुमार की कैबिनेट में और 31 चेहरे शामिल हो रहे हैं. कैबिनेट में राजद, जेडीयू समेत कांग्रेस और हम को भी जगह मिल रही है.
कैबिनेट के विस्तार में जहां जेडीयू ने अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है तो तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने कई नये चेहरों को मौका देकर सभी को चौंका दिया है। छपरा तक आपको बता रहा है उन विधायकों के बारे में जो अब विधायक के साथ-साथ मंत्री भी बनने जा रहे हैं.
अनीता देवी- रोहतास के नोखा से विधायक हैं. तीसरी बार लगातार विधायक हैं. पूर्व की महागठबंधन की सरकार में भी मंत्री थीं. राबड़ी देवी की करीबी मानी जाती हैं.
आलोक कुमार मेहता– समस्तीपुर के उजियारपुर से तीसरा बार विधायक हैं. पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद भी हैं. लालू- तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं.
कुमार सर्वजीत– गया जिला के बोधगया से तीसरा बार विधायक हैं. तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं.
समीर कुमार महासेठ– मधुबनी से ये तीसरी बार विधायक हैं. लालू यादव और तेजस्वी के भी करीबी हैं.
शाहनवाज– अररिया के जोकीहाट से पहली बार विधायक AIMIM से चुने गए. पाला बदलकर RJD में शामिल हुए. तेजस्वी यादव के करीबी हैं.
चंद्रशेखर– मधेपुरा से चौथी बार विधायक बने हैं. लालू यादव के करीबी माने जाते हैं.
तेजप्रताप यादव– समस्तीपुर जिला के हसनपुर से वर्तमान विधायक हैं. दो बार विधायक रह चुके हैं. लालू यादव के बड़े बेटे हैं.
सुरेंद्र यादव– गया जिला के बेलागंज से RJD से छठी बार विधायक. लालू यादव के बेहद करीबी हैं.
कार्तिक सिंह– बाढ़ से पहली बार RJD से MLC बने हैं. अनंत सिंह और तेजस्वी यादव के करीबी हैं.
इसराइल मंसूरी –मुजफ्फरपुर के कांटी से विधायक हैं. पहली बार आरजेडी से विधायक बने हैं. जस्वी के करीबी हैं.
शमीम अहमद– अररिया के नरकटिया विधानसभा से विधायक हैं. तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं.
अख्तरुल इस्लाम शाहीन– समस्तीपुर से राजद के विधायक हैं. तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं.
ललित यादव– दरभंगा ग्रामीण से विधायक हैं. 1995 से लगातार लगातार 6 बार जीते हैं. लालू यादव के करीबी माने जाते हैं.
भाई वीरेंद्र- पटना जिले के मनेर विधान सभा से विधायक हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं.
रामानंद यादव– पटना जिले के फतुहा से राजद के विधायक हैं. लालू यादव के करीबी होने के साथ ही तेजस्वी के भी करीबी हैं.
सुधाकर सिंह- कैमूर जिले के रामगढ़ से राजद के विधायक हैं. राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं.
जदयू कोटे के मंत्री
विजय कुमार चौधरी– समस्तीपुर के सरायरंजन से वर्तमान विधायक. पांच बार एमएलए रह चुके हैं और सीएम नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते हैं.
श्रवण कुमार– नालन्दा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक हैं. 7 बार से एमएलए बन चुके हैं और 5 बार से लगातार मंत्री भी बनते आ रहे हैं. इस बार छठी बार मंत्री बन रहे हैं. कुर्मी समाज से आते हैं और नीतीश कुमार के खासमखास हैं.
लेसी सिंह– पूर्णिया के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. 5 बार एमएलए रह चुकी हैं. वर्ष 2000, 2005, 2010, 2015, 2020 में लगातारी जीती हैं. राजपूत समाज से आने वाली लेसी सिंह नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं.
सुनील कुमार– गोपालगंज के भोरे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक हैं. दलित समाज से आते हैं और सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं.
मदन सहनी- दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. तीन बार के एमएलए को सहनी समाज से होने का मिलता रहा है. मंत्री भी रह चुके हैं.
जमा खान- कैमूर जिले के चैनपुर से 2020 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधायक बने. बाद में वे जदयू में शामिल हो गए. नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं.
शीला मंडल-मधुबनी जिले के फुलपरास से 2020 में पहली बार विधायक बनीं. अति पिछड़ा समाज (धानुक जाति) से आती हैं और नीतीश कुमार की करीबी हैं.
कांग्रेस के विधायक जो मंत्री बनेंगे
मो. अफाक आलम– पूर्णिया के कसबा विधानसभा क्षेत्र से विधायक. 4 बार लगातार विधायक. फरवरी 2005, 2010, 2015, 2020 में जीते. रंजीता रंजन के करीबी माने जाते हैं.
मुरारी प्रसाद गौतम- सासाराम के चेनारी क्षेत्र से विधायक हैं. तीन बार विधायक रह चुके हैं. मीरा कुमार के करीबी माने जाते हैं.
निर्दलीय कोटे से मंत्री
सुमित कुमार सिंह- जमुई जिले के चकाई से निर्दलीय विधायक. 2 बार एमएलए बन चुके हैं. 2010 और 2020 में दोनों बार चकाई से निर्वाचित. दिवंगत पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र हैं
कांग्रेस कोटे से 3 मंत्री, पार्टी नेताओं में नारजगी
सोमवार शाम को तेजस्वी यादव और बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की। पहले ये कहा जा रहा था कि 4 विधायकों पर एक मंत्री पद मिलेगा लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसलिए बिहार कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता नाराज हैं। सोमवार को पटना में कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने जमकर हंगामा किया। दरअसल सोमवार दोपहर ये खबर आई कि कांग्रेस को सिर्फ 3 मंत्री पद दिए जाएंगे, इससे कांग्रेस के लोकल लीडर्स भड़क गए। उनका कहना है कि बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं और पार्टी प्रभारी ने सरेंडर कर दिया है। बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं और बिहार कांग्रेस के लोकल लीडर्स को लगता है कि 4 विधायकों पर एक मंत्री के हिसाब से कांग्रेस को 5 मंत्री पद मिलने चाहिए।