सभी परिजनों ने अपने 23 लाडलों को किया याद, नहीं पहुंचे कोई अधिकारी
मध्याह्न भोजन योजना के निवाले से जान गंवाने वाले नवसृजित विद्यालय के 23 बच्चों की मनाई गई बरसी।
सारण :- जिले के मशरक प्रखंड के धरमासती बाजार के समीप गंडामन गांव के सामुदायिक भवन में प्राथमिक विद्यालय चल रहा था। जहां मध्याह्न भोजन खाने से 23 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
आपको बतादे की यह घटना नौ साल पहले 16 जुलाई 2013 को घटी थी।
बताया जाता हैं की जब यह घटना घटी थी तो लोगों ने आस लगा लिया था कि उनसे मिलने सीएम, मंत्री, नेता या कोई अधिकारी आएंगे, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। पिछले साल तक तो बरसी में प्रखंड स्तर के सरकारी अधिकारी शामिल होते थे।लेकिन इस बार नौवीं बरसी में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा।
आपको बतादे की बच्चों की याद में गांव में स्मारक स्थल का निर्माण कराया गया है। जो जर्जर अवस्था में हो गया था पर इस बार पंचायत के मुखिया ने अपने कोष से इसकी मरम्मत करा दिया हैं। गंडामन गांव में जिन घरों के चिराग बुझ गए, उनके घर एक बार नौवीं बरसीं पर फिर मातम का दौर है। इस हृदय-विदारक घटना की यादें ताजा होते ही गांव के हर लोगों की आंखें नम हो जा रही हैं।
करीब-करीब हर घर के बच्चे को इस घटना ने ले लिया जान ।
इस घटना की नौवीं बरसी पर बच्चों के स्मारक पर एक बार फिर सभी एकत्रित हुए और फूल-माला चढ़ा कर हवन पूजन कर अब कभी नहीं लौटने वाले अपने लाडले को प्यार-दुलार देकर श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि अर्पित कार्यक्रम स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि वरूण राय और परिजनों के तरफ से आयोजित किया गया था। मौके पर जिला पार्षद चांदनी देवी, मुखिया दुरगौली प्रतिनिधि सत्येन्द्र सिंह,सरपंच अजय सिंह, भाजपा प्रखंड अध्यक्ष बीरबल प्रसाद कुशवाहा, जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामाधार सिंह समेत अन्य मौजूद रहे।
बता दें कि 16 जुलाई 2013 को प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रहे मासूम बच्चे खाना मिलने का इंतजार कर रहे थे। रसोइया ने एक बच्चे को स्कूल की प्रधान शिक्षिका मीना देवी के घर से सरसों तेल लाने को भेजा। सरसों तेल के डिब्बे के पास ही छिड़काव के लिए तैयार कीटनाशक रखा था।बच्चे ने तेल के बदले कीटनाशक का घोल लाकर दे दिया, जो बिल्कुल सरसों तेल जैसा ही था। रसोइया जब सोयाबीन तलने लगी तो उसमें से झाग निकलने लगा। उसने इसकी शिकायत एचएम मीना देवी से की। मीना देवी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उसके बाद जब खाना बनकर तैयार हो गया और बच्चों को दिया गया तो बच्चों ने खाने का स्वाद खराब होने की शिकायत की थी। जानकारी के मुताबिक बच्चों की शिकायत को नजरअंदाज करते हुए मीना देवी ने डांटकर भगा दिया था। कुछ देर बाद ही बच्चों को उल्टी और दस्त शुरू हो गई। इसके बाद देखते ही देखते 23 बच्चों ने दम तोड़ दिया। विद्यालय की रसोइया और 25 बच्चे पीएमसीएच में कठिन इलाज के बाद गांव वापस आ पाए थे।