बिहार डेस्क:- बिहार के सिवान से राजद के सांसद रह चुके मोहम्मद शहाबुद्दीन की आज पहली पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर राज्य सरकार से मोहम्मद शहाबुद्दीन की प्रतिमा लगाने की मांग की है.
जीतन राम मांझी की सरकार से मांग: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज ट्वीट कर राज्य सरकार से सिवान में मोहम्मद शहाबुद्दीन की प्रतिमा लगाने की मांग की है. मांझी ने अपने ट्वीट में लिखा की ‘सिवान के विकास की पहचान, अपनी बेबाकी की वजह से आज भी करोड़ों दिलों पर राज करने वाले पूर्व सांसद मरहूम डॉ मोहम्मद शाहबुद्दीन साहब के प्रथम पुण्यतिथि पर सादर नमन. हर कोई शहाबुद्दीन नहीं हो सकता. मैं राज्य सरकार से सिवान में पूर्व सांसद की प्रतिमा लगाने की मांग करता हूं.’
सिवान के विकास की पहचान,अपनी बेबाकी की बजह से आज भी करोड़ों दिलों पर राज करने वाले पूर्व सांसद मरहूम डॉ मोहम्मद शाहबुद्दीन साहब के प्रथम पुण्यतिथि पर सादर नमन।
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) May 1, 2022
हर कोई शहाबुद्दीन नहीं हो सकता।
मैं राज्य सरकार से सिवान में पूर्व सांसद की प्रतिमा लगाने की मांग करता हूं।
अपने बयान को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं मांझी: बता दें कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी अक्सर अपने बयान को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. अब एक बार फिर से मांझी ने ट्वीट कर सिवान में मोहम्मद शहाबुद्दीन की प्रतिमा लगाने की मांग राज्य सरकार से की है. वर्तमान में मांझी की पार्टी बिहार में एनडीए घटक दल के साथ है. फिलहाल एनडीए के नेता के रूप में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं. साथ में भारतीय जनता पार्टी भी है. भाजपा लगातार मोहम्मद शहाबुद्दीन का विरोध करती रही है. अब जिस तरह से आज मांझी ने ट्वीट कर उनकी प्रतिमा लगाने की मांग की है. उसके बाद से एनडीए में खलबली सी मच गई है.
कौन हैं शहाबुद्दीन: दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काटने के दौरान शहाबुद्दीन जेल में ही कोरोना संक्रमित हो गए थे और इलाज के दौरान एक मई को उनका निधन हो गया था. वे सिवान सीट से चार बार संसद सदस्य और दो बार विधायक चुने गए थे. 2004 में इन्होंने जेल से चुनाव लड़ा और जीता. पुलिस द्वारा इनके विरुद्ध गवाह नहीं पेश कर पाने के कारण इन्हें बाइज्जत बरी कर दिया गया था. 2005 में शहाबुद्दीन को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया. 2009 में इन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया. 11 सितंबर 2016 के दिन इन्हें जेल से बाहर निकाला गया. 30 सितम्बर 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत रद्द कर दी. तब से ये तिहाड़ जेल में कैद थे. जहां कोरोना संक्रमित होने के बाद एक मई को उनका निधन हो गया था. शहाबुद्दीन को सिवान का सुल्तान भी कहा जाता था.