
पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर शिक्षक भर्ती को लेकर गर्मा गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) के जरिए यह घोषणा की कि अब शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति यानी स्थानीय निवासी नीति को लागू किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति आगामी शिक्षक नियुक्ति परीक्षा टीआरई-4 और टीआरई-5 से लागू होगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले को जहां जदयू ने राज्य के युवाओं के हित में ऐतिहासिक कदम बताया, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की योजनाओं की ‘नकल’ करार दिया।

राजद का आरोप: “तेजस्वी की सोच को कॉपी कर रही नीतीश सरकार”
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके थे कि बिहार की सरकारी नौकरियों पर बिहार के ही युवाओं का पहला अधिकार होना चाहिए। एजाज ने याद दिलाया कि महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी यादव ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की थी और डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार तेजस्वी यादव की नीतियों की ‘नकल’ कर रही है। “तेजस्वी यादव ने 17 महीने में रोजगार के कई द्वार खोले, लेकिन नीतीश कुमार पहले कहते थे कि पैसा कहां से आएगा, और अब उन्हीं योजनाओं को अपना रहे हैं। लेकिन नकल में अकल नहीं लग रही है,” – एजाज अहमद ने चुटकी ली।
जदयू का पलटवार: “बिहारवासियों के हक में लिया गया फैसला”
इस पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने तो यह फैसला बिहार के युवाओं के हित को ध्यान में रखते हुए लिया है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग राजनीति में दोहरी नीति अपनाते हैं, उनकी बातों का कोई भरोसा नहीं होता।
नीरज कुमार ने राजद नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “राजद को पहले यह बताना चाहिए कि उन्होंने राजनीति में बाहरी लोगों को क्यों तरजीह दी? राज्यसभा के लिए हरियाणा से नेता लाकर बिहार के युवाओं के हक को छीना गया। वहीं सिंगापुर से लोगों को टिकट देने की बात हुई लेकिन बिहार की बेटियों की कोई चिंता नहीं की गई।”
उन्होंने तेजस्वी यादव, रोहणी आचार्या और राज्यसभा सांसद संजय यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि ‘दो वोटर कार्ड रखने वाले’ अब दूसरों पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि खुद की नीयत ही संदेह के घेरे में है।
सियासी संदेश और आगामी चुनाव
नीतीश सरकार के इस फैसले को जहां युवाओं के लिए राहत की खबर के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं राजद इसे आगामी चुनावों से जोड़कर देख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, डोमिसाइल नीति को लागू करने का निर्णय बिहार के युवाओं के एक बड़े तबके को लुभाने वाला कदम हो सकता है, जिससे नीतीश कुमार फिर से अपनी साख मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, विपक्ष इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ बताकर तेजस्वी यादव की लोकप्रियता को नीचा दिखाने की कोशिश मान रहा है।