बिहार में अप्रैल, 2016 से पूर्णरूप से शराबबंदी है. बावजूद इसके शराबबंदी के 8 साल बाद भी चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. मद्यनिषेध एवं आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में 8 साल के अंदर 250 से ज्यादा लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई है.
वहीं, 150 मौतों के पुष्टि की गई है अन्य मौतों पर अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है. सबसे ज्यादा मौतें छपरा, गया, बक्सर, भोजपुर गोपालगंज में शराब से हुई है. अगस्त 2024 तक विभाग ने शराब निषेध कानून के उल्लंघन करने के मामले में 8.43 लाख मामले दर्ज किए हैं 12.7 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा 3.46 करोड़ लीटर शराब जब्त किया गया है.
हर घंटे होती है 18 लोगों की गिरफ्तारी
आपको बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया था. जिसके बाद से प्रदेश में शराब की बिक्री सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बावजूद राज्यभर से शराब तस्करी शराब पार्टी की खबरें सामने आ रही है. हालही में जेडीयू नेता को शराब पार्टी करते हुए पकड़ा गया था. जिसके बाद पार्टी ने कार्रवाई करते हुए जेडीयू नेता को बर्खास्त कर दिया था. अब तक शराबबंदी कानून में सरकार तीन बार संशोधन भी कर चुकी है.
बिहार में 2016 में जब शराबबंदी कानून लागू की गई थी. उस समय इसका भारी विरोध भी किया गया था. बावजूद इसके बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इसे राज्य में सख्ती से लागू कर रखा है. हालांकि शराबबंदी कानून में संशोधन भी किया गया है. सबसे पहले 2022 में शराबबंदी में दो बदलाव हुए. पहले कानून उल्लंघन करने पर सीधे जेल भेजा जाता था 5-10 हजार रुपये जुर्माना वसूला जाता था.
शराबबंदी कानून में किया गया संसोधन
वहीं, अगर कोई पहली बार शराबबंदी कानून का उल्लंघन करते पकड़ा जाता था तो उसे सीधे ट्राइल कोर्ट भेज दिया जाता था. हालांकि बाद में इसमें बदलाव कर दिया गया 10 साल की सजा की जगह 5 साल की सजा कर दी गई. 2022 के बाद 2023 में भी शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया इसके तहत शराब ले जाने के दौरान पकड़ी गई गाड़ी को छोड़ने के लिए बीमा कवर के सिर्फ 10 फीसदी भुगतान राशि तय की गई. इससे पहले भुगतान राशि 50 फीसदी थी.