• सीफार के सहयोग से गर्ल्स हाईस्कूल में टॉक शो का हुआ आयोजन
• परिवार नियोजन कार्यक्रम पर छात्राओं को किया गया जागरूकत
• हेल्थ एक्सपर्ट ने दिया छात्राओं के सवालों का जवाब
छपरा। परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से छपरा के गर्ल्स हाई स्कूल में टॉक शो प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से परिवार नियोजन कार्यक्रम पर टॉक शो आयोजित किया गया। जिसमें छात्राओं को संबोधित करते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के जिला सामुदायिक उत्प्रेरक ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या विकसित समाज के निर्माण में एक महत्वपूर्ण बाधा बनती जा रही है। इसके चलते सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर गंभीर दबाव बढ़ रहा है, जो विकास की गति को प्रभावित कर सकता है। बढ़ती जनसंख्या संसाधनों पर अधिक दबाव डाल रही है, जिससे खाद्य, पानी, ऊर्जा और आवास की आपूर्ति में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके अलावा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है। उन्होने कहा कि बिहार का कुल प्रजनन दर पूरे देश में नंबर वन पर है। इसे कम करना हम सबकी जिम्मेदारी है। बिहार का कुल प्रजनन दर 3.1 प्रतिशत है यानि प्रत्येक योग्य दंपति तीन या तीन से अधिक बच्चे पैदा कर रहें है। छात्राओं को जागरूक करने का उद्देश्य है कि ये छात्राएं आगे चलकर बहू बनेंगी और जब माँ बनेगी तो इस बात ख्याल रखेंगी कि दो से अधिक बच्चों का जन्म नहीं देना है। इस दौरान छात्राओं को परिवार नियोजन कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया। साथ हीं उनके सवालों का जवाब भी दिया गया। इस मौके पर जिला सामुदायिक उत्प्ररेक ब्रजेंद्र कुमार सिंह, सदर अस्पताल के परिवार नियोजन सलाहकार बबीता कुमारी, गर्ल्स हाईस्कूल के प्राचार्य किरण कुमारी, पीएसआई इंडिया के राजीव श्रीवास्तव, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन, शिक्षिका प्रियंका कुमारी, शिक्षक यसपाल सिंह समेत अन्य मौजूद थे।
कम उम्र में शादी परिवार नियोजन कार्यक्रम में चुनौती:
पीएसआई इंडिया के एफपीसी राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि लड़कियों का कम उम्र में शादी होना परिवार नियोजन कार्यक्रम में सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होने छात्राओं को बताया कि लड़कियों की शादी की उम्र कम से कम 18 साल होना चाहिए और शादी के दो साल बाद गर्भधारण करना चाहिए। साथ हीं दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतराल भी जरूरी है। कम उम्र में शादी के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इसमें शिक्षा की कमी, आर्थिक असमानता, और स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। किशोरावस्था में शादी करने वाले व्यक्तियों को अक्सर शिक्षा का पूरा लाभ नहीं मिल पाता, जिससे उनके रोजगार की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, किशोर माताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम भी अधिक होते हैं, जिनमें प्रसव संबंधी जटिलताएं और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। इस दौरान उन्होने राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की। छात्राओं को एनिमिया बीमारी के बारे में जागरूक किया।
महावारी स्वच्छता पर जागरूकता जरूरी:
इस दौरान छपरा सदर अस्पताल के परिवार नियोजन सलाहकार बबीता कुमारी ने छात्राओं को महावारी स्वच्छता पर विस्तार से जानकारी दी। छात्राओं को बताया गया कि महावारी एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है, जो किशोरावस्था में शुरू होती है। यह प्रक्रिया महिलाओं के स्वास्थ्य का एक सामान्य और महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें कोई शर्म की बात नहीं है। अपने परिजन से इस बारें में खुलकर बात कर सकती है। उन्होने बताया कि समाज में कुछ भ्रांतियाँ भी फैली है कि महावारी के दौरान पूजा नहीं करना है, कीचेन में नहीं जाना है आचार नहीं छूना है। ये सभी भ्रांति है। महावारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि नियमित रूप से नहाना, साफ वस्त्र पहनना, और स्वच्छता उत्पादों को उचित तरीके से बदलना। इसके अलावा, शरीर की नाजुक त्वचा को रगड़ने या घिसने से बचना चाहिए। खून लॉस के कारण शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए, आयरन युक्त आहार जैसे हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दाल का सेवन करना चाहिए।
इस दौरान छात्राओं ने भी हेल्थ एक्सपर्ट से अपना सवाल पूछा। जिसके बारे में उपस्थित हेल्थ एक्सपर्ट के द्वारा विस्तार से जानकारी दी गयी। एनिमिया, अनचाहा गर्भ, अनमेट नीड, शादी का सही उम्र, बढती जनसंख्या से समाज पर प्रभाव, युवा क्लिनिक, आयरन फॉलिक एसिड गोली के बारे में सवाल पूछे गये। जिसका जवाब हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा दिया गया।