छपरा डेस्क
जन सुराज पदयात्रा के 194वें दिन की शुरुआत वैशाली के हाजीपुर प्रखंड अंतर्गत दौलतपुर चांदी स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ दौलतपुर चांदी से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा घटारो दक्षिण, भटौली भगवान, करताहा बुज़ुर्ग, अनवरपुर सिसौला, लक्ष्मी नारायणपुर होते हुए लालगंज प्रखंड अंतर्गत लालगंज नगर परिषद के ब्रम्हानंद कॉलेज मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर वैशाली जिले के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 3 आमसभाओं को संबोधित किया और 7 पंचायत के 13 गांवों से गुजरते हुए 13.6 किमी की पदयात्रा तय की।
राम मंदिर के लिए वोट दिया तो राम मंदिर बन ही रहा है, वैसे ही अगर शिक्षा और रोजगार के लिए वोट करेंगे तो वो भी आपको मिलेगा: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 50 सालों से जिस दुर्दशा में आप और हम हैं उसके पीछे कुछ तो कारण है कि हमारी दुर्दशा सुधर ही नहीं रही है। लोकतंत्र में आप जिस चीज़ पर वोट कर रहे हैं वो देर से ही सही आपको मिल तो रहा है। लेकिन जिस बात पर आप वोट नहीं दे रहे है वो चीज कभी नहीं मिलेगी। आप वोट किए हैं 5 किलो अनाज के नाम पर तो बिहार में भ्रष्टाचार के बाबजूद आपको 5 किलो अनाज के जगह 4 किलों ही सही घर-घर अनाज मिल तो रहा है। आपने वोट दिया है राम मंदिर के नाम पर तो बिहार में सड़क, रोड और स्कूल नहीं बन रहे है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बन ही रहा है। जब आप शिक्षा और रोजगार के नाम पर वोट कर ही नहीं रहे हैं तो इन समस्याओं में सुधार होगी कैसे? यही बताने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं।
बिहारी शब्द गाली नहीं अभिमान का विषय है, इसलिए इस मिट्टी का गौरव और सम्मान करना सीखिए: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के बच्चे बिहार से बाहर जाते हैं। कोई पढ़ने के लिए, कोई मजदूरी के लिए और वहां जिसका मन होता है वो बिहार के बच्चों को मार देता है, जिसका मन होता है वो गाली दे देता है। बिहार के लोगों को बिहारी कह कर बुलाया जाता है। उनका लगता है बिहारी मतलब बेवकूफ, मूर्ख, अब बिहारी शब्द गाली बन गया है। क्या हम सब मूर्ख हैं? नहीं! यहां के नेताओं ने हम लोगों को मूर्ख बना कर रखा हुआ है। बिहार ज्ञान की भूमि रही है, देवताओं को भी बिहार में आकार ज्ञान मिला है। बिहार की मिट्टी का गौरव करना सीखिए, इस मिट्टी का सम्मान करना सीखिए। बिहारी गाली नहीं है ये अभिमान का विषय है, तो संकल्प कीजिए कि आप आपने बच्चों के लिए बिहार में पढ़ाई और रोजगार के लिए ऐसी व्यवस्था करेंगे की हमारे बच्चों को दूसरी जगह दर-दर की ठोकरे न खानी पड़े।