सीहोर. सीहोर जिले की नसरुल्लागंज पुलिस ने जाली जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले बड़े गिरोह का भांडाफोड़ किया है. गिरोह का सरगना 19 साल का है और बिहार का रहने वाला है. गिरोह अब तक 52 हजार जाली प्रमाण पत्र बना चुका है. पुलिस ने बिहार, यूपी और एमपी से 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
जन्म प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया प्रदेश में काफी सरल और व्यवस्थित है. मगर कुछ शातिर आरोपियों ने इस व्यवस्था में भी सेंध लगा दिया. मध्य प्रदेश में जो सरकारी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं हूबहू वैसे ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए. वो भी एक या दो नहीं बल्कि पूरे 52 हजार. इसके बदले गिरोह तबियत से पैसा कमाकर ऐश कर रहा था. ऐसे 5 आरोपियों को प्रदेश और देश के अलग अलग राज्यों से सीहोर जिले की नसरूल्लागंज पुलिस ने गिरफ्तार किया.
गरीब लोगों को निशाना बनाकर फर्जी तरीके से जन्म प्रमाण-पत्र बेचने वाले गिरोह का नसरुल्लागंज पुलिस ने खुलासा किया है। बिहार के 19 साल के युवक ने महंगे शौक और कम समय में अमीर बनने के लालच में फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र बनाने का काम शुरू किया। मुख्य सरगना को पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार किया है। बता दें कि 29 जुलाई को फरियादी भुजराम पर्ते मूल निवासी इटावा खुर्द पोस्ट पिपलानी की रिपोर्ट पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का मामला सामने आया था ।
पुलिस ने कुल 5 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है। ऐसे कड़ी से कड़ी जुड़ती गईं और मुख्य आरोपी तक पहुंची पुलिस : एसडीओपी आकाश अमलकर और थाना प्रभारी कंचन सिंह ठाकुर के नेतृत्व में बनाई गई एक विशेष टीम ने आरोपी दीपक मीणा से पूछताछ की। फर्जीवाड़े मे बालाघाट निवासी शशांक गिरी का नाम सामने आया। पुलिस ने शशांक गिरी से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने की लिंक वाट्सएप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले फरदीन व फरदीन ने दी थी।
पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मेरठ से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि आॅनलाइन कॉलिंग से इस पूरे सरगना के मास्टर माइंड बिहार निवासी नवीन कुमार से मिली थी। जिस में लिंक ओपन कर 100 रुपए का रिचार्ज कर जन्म प्रमाण-पत्र बन जाता था। पुलिस न मुख्य सरगना नवीन कुमार सिंह पुत्र संजीव कुमार सिंह 19 साल निवासी भिट्टी बाजार जिला सारण को गिरफ्तार कर सकी। पुलिस ने सभी आरोपियों से एक एलइडी, 5 मोबाइल, 5 लैपटॉप, 3 प्रिंटर और 48 फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र जब्त किए हैं।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
आरोपी नवीन कुमार ने बताया कि पिताजी कियोस्क सेंटर की दुकान पर काम करते थे। इससे बचपन से ही उसे साइबर संबंधित चीजों में रुचि थी। उसने यू ट्यूब के जरिए साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की प्रेक्टिस की। करीब 6 महीने पहले उसे जानकारी मिली कि लोग फर्जी तरीके से जन्म प्रमाण पत्र बनाते हैं । तब उसने अपने मोबाइल पर गूगल से जन्म प्रमाण पत्र बनाने की पूरी जानकारी हासिल की और खुद की वेबसाइट सीआरएसओआर डॉट जीओवी डॉट ओआरजी तैयार की। इसके जरिए किसी भी राज्य या जिला के शासकीय अस्पताल से जारी जन्म प्रमाण पत्र नेट पर मिल जाता था। वहां पर कट-पेस्ट की तकनीकि से नाम बदल दिए जाते थे। नवीन अब तक 53 हजार फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर चुका है।
इनपुट न्यूज 18