सीबीआई ने मुंबई के पंजाब नेशनल बैंक के शस्त्रत्त् सेंटर जोनल कार्यालय से 168 करोड़ रुपये की जालसाजी का मामला दर्ज किया है। 34 गलत दस्तावेजों का उपयोग करके बैंक से फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों और अभियुक्तों के छह ठिकानों पर छापेमारी की गई।
बिहार के पटना और छपरा के अलावा नोएडा, टाडीपटरी (आंध्र प्रदेश) और थोउबल (मणिपुर) में रेड मारी गई।
इन जगहों पर फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनियों के संबंधित निदेशकों के ठिकानें हैं या फिर इनमें कुछ स्थानों के फर्जी नाम-पता का इस्तेमाल करके कागजात तैयार किए गए। मामले की तफ्तीश मुंबई स्थित सीबीआई की इकाई कर रही है।
जांच में सामने आया है कि पीएनबी की मुंबई शाखा से गुजराज के सूरत स्थित मेसर्स सिद्धि विनायक लॉजिस्टिक लिमिटेड कंपनी ने पहले 100 करोड़ रुपये का टर्म लोन वाहन खरीदने के नाम पर 2013 से 2017 के बीच लिया था। कंपनी ने बैंक को बताया कि वह इस राशि से 335 गाड़ियां खरीदना चाहती है। इसके बाद कुछ अन्य राशि लोन के तौर पर फिर से ली। मगर कंपनी ने इन पैसों से 240 गाड़ियां ही खरीदीं, यानी निर्धारित संख्या से 95 वाहन खरीदे और इस राशि को दूसरी जगह पर डायवर्ट कर दिया।
बिहार के फर्जी पतों पर रजिस्टर्ड करवाई गई गाड़ियां
कंपनी द्वारा खरीदी गई 240 गाड़ियों में 19 व्हीकल ऐसे थे, जिन पर एसबीआई और आंध्रा बैंक जैसे दूसरे बैंकों से भी लोन उठा लिया गया। कंपनी ने बैंकों को 335 गाड़ियों की पूरी जानकारी मुहैया कराई थी, उसमें 95 गाड़ियों के फर्जी कागजात बैंक के साथ-साथ आरटीओ में भी प्रस्तुत किए गए। इन दस्तावेजों को पटना और छपरा के कुछ फर्जी पते पर तैयार किया गया। लोन देने वाले बैंक अफसरों में तत्कालीन मैनेजर समेत अन्य पदाधिकारी बिहार के हैं। इस कंपनी के निदेशक मंडल में दीपक कुमार वैद्य, रूपचंद वैद्य, राजकुमार वैद्य समेत अन्य शामिल हैं।