सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा के द्वारा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड संक्रमण के दौरान मकर सक्रांति त्योहार के अवसर पर विधि व्यवस्था संधारण के लिए समीक्षात्मक बैठक जिले के सभी थाना प्रभारी, अंचलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ की गयी। जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया कि मकर सक्रांति का पर्व 14 एवं 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस अवसर पर नदियों में स्नान की परम्परा को देखते हुए कोविड संक्रमण के दौर में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। सर्वप्रथम निजी नावों के परिचालन पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया। सिर्फ प्रशासनिक कार्य के लिए ही नावों का परिचालन किया जा सकेगा।
गोताखोर की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश
इस अवसर पर संवेदनशील नदी, तालाब घाटों को चिह्नित कर दण्डाधिकारी एवं पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति कर आवश्यकता संख्या में गोताखोर की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही घाटों पर भीड़ को नियंत्रित करने, कोविड के दिशा-निर्देश का सख्ती से अनुपालन करवाने का निर्देश जिलाधिकारी महोदय के द्वारा दिया गया। खतरनाक घाटों पर एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की दलों की भी प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया।
2017 को मकर संक्रांति पर हुआ था नाव हादसा
वर्ष 2017 में मकर संक्रांति पर सोनपुर के सबलपुर दियारा में पर्यटन विभाग द्वारा पतंगोत्सव का आयोजन किया था। उसमें मुफ्त में पतंग बांटी जा रही थी। इस आयोजन के लिए सारण जिला प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई थी। पतंग बांटने के दौरान काफी भीड़ हो गई थी। जिससे अफरा-तफरी मच गई थी। वहीं गंगा पार कर दियारा जाने वालों की लंबी कतारें देख नाविक अधिक पैसा कमाने के लिए अपनी नाव पर अधिक लोगों को लादकर ढोया जा रहा था। क्षमता से अधिक लोगों को लेकर नदी पार कर रही नाव जैसे की घाट के किनारे पहुंचने वाली ही थी कि वह डगमगाने लगी। इसे देख उसमें बैठे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई थी। कुछ लोग अपनी जान बचाने के लिए छलांग लगा दिए थे। जिससे नाव असंतुलित होकर नदी में डूब गई थी। जिसमें 24 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी। उसके बाद से मकर संक्रांति में नाव परिचालन पर रोक लगी है।