सारण छपरा
यंग इंडिया रेफरेंडम के तहत आइसा पूरे देश के विश्वविद्यालयो में 2024 के चुनावी मुद्दे को लेकर जनमत संग्रह करवा रही है।
80.44 प्रतिशत से अधिक छात्रों ने किया मोदी सरकार के विरोध में मत
भारत युवाओं का देश है और छात्र युवाओं के मुद्दे को लेकर आगामी चुनाव संपन्न कराया जाए जिसमें छात्रहित के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है । छात्र युवा जो कि आज 45 सालो में सबसे अधिक बेरोजगारी की मार झेल रही है, दिन-ब-दिन सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है और समाज के सभी तबकों के उत्थान के लिए हमारे संविधान में जो आरक्षण की व्यवस्था की गई थी उसे भी धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है जबकि अब तक समाज के सभी तबकों का उत्थान जमीनी स्तर पर नहीं हो पाया है।
मौजूदा मोदी सरकार जो कि हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा की थी आज 10 साल के बाद भी यह पूरा होते नहीं देखा जा रहा है बल्कि भारत में 50% नौकरियां में कटौती हो गई है। रिक्तियां रहते हुए भी बहाली काफी देर से आती है जिससे छात्र मजबूरन पढ़ाई छोड़ छोटे-मोटे काम करने पर मजबूर है।
मौजूदा भाजपा सरकार देश की जनता को मंदिर मस्जिद के मुद्दों में गुमराह करने में लगी है और शिक्षा, रोजगार, आरक्षण, सामाजिक एकता जैसे मुद्दों पर कोई बात नही होती। महंगाई काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। गरीब जनता कर्ज के बोझ तले दबते जा रही हैं l लेकिन मौजूदा सरकार के चुनावी एजेंडे में ये बाते दूर दूर तक नजर नहीं आती।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन यंग इंडिया रेफरेंडम के तहत आगामी चुनावी मुद्दों को लेकर छात्र युवा से रूबरू होगी और जनमत संग्रह करा कर वास्तविक चुनावी मुद्दे को सार्वजनिक करेगी।
आइसा नेताओं ने कुलपति द्वारा कार्यक्रम का बैनर लगाने से रोकने पर कड़ी निंदा की और कहा कि कुलपति को पहले ही कार्यक्रम की सूचना दे दी गई थी बावजूद इसके उन्होंने कार्यक्रम में बाधा डाला, छात्र अपने कैंपस के अलावा दूसरा कहां रहेंगे यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति का स्थान है।
कार्यक्रम में जिला सचिव दीपांकर कुमार मिश्र, जिला अध्यक्ष कुणाल कौशिक, रानी कुमारी, प्रीति कुमारी, सचिन सॉर्य, विकास कुमार, नीरज कुमार, विशाल पासवान उपस्थित थे।